चीन। चीन भारत के खिलाफ अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा है। उसने एक बार फिर बड़ी हिमाकत की है। चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे पर फिर से जोर देने के मकसद से इस राज्य के लिए ‘चीनी, तिब्बती और पिनयिन’ अक्षरों में नामों की तीसरी लिस्ट जारी की है। भारत द्वारा अरुणाचल में G-20 बैठक आयोजित करने के ठीक एक हफ्ते बाद चीन ने यह कदम उठाया है। G -20 की इस बैठक में भी चीन शामिल नहीं हुआ था।
चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों के मानकीकृत नाम जारी किए, जिसे वह स्टेट काउंसिल, चीन की कैबिनेट द्वारा जारी भौगोलिक नामों पर नियमों के मुताबिक ‘तिब्बत का दक्षिणी भाग ज़ंगनान’ बताता है।
चीन ने इसके साथ ही एक नक्शा भी जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों को दक्षिणी तिब्बती क्षेत्र के अंदर दिखाया गया है। इसमें अरुणाचल की राजधानी ईटानगर के करीब एक शहर भी शामिल है।
5 पहाड़ों और 2 नदियों के भी बदले नाम
सरकार द्वारा संचालित ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि मंत्रालय ने रविवार को 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी किए, जिनमें 2 भूमि क्षेत्रों, 2 आवासीय क्षेत्रों, 5 पर्वत चोटियों और 2 नदियों सहित सटीक निर्देशांक भी दिए गए हैं। इसके अलावा, स्थानों के नाम और उनके अधीनस्थ प्रशासनिक जिलों की श्रेणी लिस्टेड की गई है।
‘ग्लोबल टाइम्स’ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली समूह के प्रकाशनों का हिस्सा है. इसने चीनी विशेषज्ञों के हवाले से कहा कि नामों की घोषणा एक वैध कदम है और भौगोलिक नामों को मानकीकृत करना चीन का संप्रभु अधिकार है।
आपको बता दें कि चीनी मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश के लिए जारी मानकीकृत भौगोलिक नामों की यह तीसरी लिस्ट है। अरुणाचल में छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली सूची 2017 में जारी की गई थी और फिर 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी।
‘गढ़े गए’ नामों से कुछ नहीं बदलता
भारत पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नाम बदलने के चीनी कदम को खारिज कर चुका है और भारत यह कहता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश राज्य सदैव भारत का अभिन्न अंग रहा है और ‘हमेशा’ रहेगा और ‘गढ़े गए’ नामों से यह तथ्य नहीं बदल सकता है।