नई दिल्ली। महामारी में पटरी से उतरी देश की अर्थव्यवस्था अब तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है। कोरोना का पहला मामला मिलने के बाद से आर्थिक सुधार के लिए निगरानी वाले 22 उच्च आवृत्ति संकेतकों (एचएफआई) में से 19 में पूरी तरह सुधार देखने को मिला है। सूत्रों के मुताबिक यह 19 संकेतक कोरोना से पहले वाली स्थिति की तुलना में इस वर्ष सितंबर, अक्टूबर व नवंबर में शीर्ष स्तर पर रहे। सूत्रों की मानें तो 19 में से कुछ संकेतकों में 100 फीसदी से भी अधिक सुधार हुआ है। इनमें ई-वे बिल, कारोबार निर्यात, कोयला उत्पादन और रेलवे माल ढुलाई प्रमुख हैं। यह इस बात का संकेत है कि न सिर्फ अर्थव्यवस्था संभली है, बल्कि महामारी से पहले वाले स्तर की गति पकड़ रही है। दूसरी तिमाही के जीडीपी अनुमान भी इस सुधार की पुष्टि करते हैं। 8.4 फीसदी का सुधार कोरोना से पहले 2019-20 की दूसरी तिमाही से भी बेहतर है। आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन 2019 की तुलना में 157 फीसदी यानी 108.2 करोड़ रहा, इसी तरह यूपीआई लगभग चार गुना के साथ 421.9 करोड़ रहा। वहीं कारोबारी आयात अक्टूबर में 55.4 अरब डॉलर रहा, जो कि 2019 की तुलना में 146 फीसदी था। ई-वे बिल की संख्या दोगुनी से अधिक होकर 7.4 करोड़ हो गई। कोयला उत्पादन 131 फीसदी बढ़कर सितंबर में करीब 11.41 करोड़ टन रहा और रेलवे ढुलाई भी 125 फीसदी का इजाफा हुआ। इन सबके अलावा खाद बिक्री, बिजली खपत, ट्रैक्टरों की बिक्री, सीमेंट उत्पादन, बंदरगाहों पर आवाजाही, ईंधन की खपत, हवाई कार्गो, आईआईपी और 8 कोर उद्योग कोरोना से पहले वाले स्तर से ऊपर हैं।