मन के दोषों के कारण ही व्यक्ति करता है पाप: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, शिव शब्द अनन्त कल्याणकारी है। शिव तत्त्व परमानंद दाता है। सत्यं शिवं सुंदरम् सच्चिदानंद का ही रूपांतर है। जैसे वाटर शब्द का अर्थ पानी होता है, इसी प्रकार शिव शब्द का अर्थ अनन्त सत्ता, अनन्त ऊर्जा एवं अनन्त आनन्द है। जैसे अंग्रेजी में वाटर बोलते ही सामने वाला पानी लेकर आ जाता है, इसी प्रकार शिव शब्द का उच्चारण करते ही परमात्मा शिव साधक को अनन्त शान्ति प्रदान कर देते हैं। शौनाकादि ॠषियों ने सूत जी से प्रश्न किया, आप समस्त पुराणों के ज्ञाता हैं. आपने समस्त पुराणों और धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया एवं व्याख्या भी की है। आप वेदव्यास जी के प्रधान शिष्यों में से एक हैं। कृपा कर हमें ऐसी कथा सुनाइए जिसके श्रवण मात्र से मन के दोष निवृत्त हो जायें। मन के दोषों के कारण ही व्यक्ति पाप करता है और पाप का फल दुःख है। पुण्य और पाप ये दोनों बीज हैं। जब व्यक्ति पाप या पुण्य करता है, उसमें फल लगते हैं। जब पाप करते हैं तो उसमें फल लगेगा, वह दुःख रूप होगा। शरीर में रोग हो जाना भी किसी पाप का फल है। संतान का न होना, पत्नी का अनुकूल न मिलना, पति का अनुकूल न होना यह सब पापों का ही फल होता है। बिना पाप के दुःख नहीं होता और बिना पुण्य के सुख नहीं होता पुण्य बिना सुख होय नहिं, होय न दुख बिनु पाप। काहुई दोष न दीजिये, समुझि आपने आप।। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)

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