पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत की कथा सदा सुनते रहो। कौशिकी संहिता के आधार पर अमरनाथ में भगवान शंकर ने पार्वती अम्बा को अमर कथा सुनाई थी। श्रीमद्भागवत की कथा ही वो अमर कथा है। जब भगवान् शंकर, अम्बा पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे, राधारानी के मणि पिंजर में कलवाक् नाम के तोते के रूप में रहने वाले शुकदेव भगवान् को भगवान कृष्ण ने एक विगलित अंडे के रूप में अमरनाथ भेजा। पार्वती अम्बा कथा सुनने लगी। भगवान शंकर समाधि भाषा में नेत्र बंद कर कथा सुना रहे थे। भागवत की कथा अमृत है। परमात्मा की कथा और नाम भी अमृत है। जो इसको पी लेगा- नस्गर्भगतः भूयात् मुक्ति भागी न संशयः। वह दोबारा फिर जन्म नहीं लेगा। जन्म-जन्मांतर, युग-युगांतर, कल्प-कल्पान्तर के पाप श्रीमद्भागवत् के श्रवण मात्र से समाप्त हो जाते हैं। वो व्यक्ति दोबारा फिर मां के गर्भ में नहीं आता, ये भागवत् जी की घोषणा है। इसीलिये- सदा सेव्या सदा सेव्या श्रीमद्भागवती कथा। श्रीमद्भागवत की कथा सुनते रहें। कुछ लोगों को कथा से अजीर्ण हो जाता है। चाय पीने से नहीं, भोजन करने से नहीं होता। एक-दो कथाएं सुन लिये तो अजीर्ण हो जाता है। बहुत सुन ली। भागवतकार कहते हैं कि- पिबत भागवतं रसमालयं मुहरहो रसिकाः भुवि भावुकाः।आलयं मृत्युपर्यन्तम् भागवत रसं पिबत्। आप जब तक जीवित हो तब तक भागवत रूपी अमृत पीते रहो। यदि आप भागवत् अमृत पियेंगे, तो आपके हृदय में प्रेमाभक्ति अपने आप जाग उठेगी। जिस तरह भांग खाने वाले को नशा बुलाना नहीं पड़ता, अपने आप नशा आता है। बस भांग पीलो। तीन दिनों का भूखा व्यक्ति कमजोरी महसूस कर रहा था। उसे भोजन दिया गया। अब भोजन के बाद शक्ति बुलानी नहीं पड़ती, अपने आप शक्ति का संचार होने लगता है। जैसे भोजन करते ही शक्ति अपने आप बढ़ती है ,भांग खाने से नशा अपने आप आता है, इसी तरह भागवत की कथा जो श्रवण करेंगे, उन्हें भगवान कृष्ण की प्रेमाभक्ति अवश्य मिलेगी। उनका जीवन भक्तिमय हो जायेगा। ये भागवत ने वचन दिया हुआ है- यस्याम वै सूर्यमाणायां कृष्णे परम पुरुषे, भक्ति पुनसः शोक मोह भयापः।सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)