पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जन्मलाभः परः पुंसामन्ते नारायणस्मृतिः।। जन्म का लाभ यही है कि मृत्यु के समय भगवान् का नाम मुख से निकल जाये। इससे बढ़कर और कोई लाभ नहीं है। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि- यं लब्ध्वा चापरं लाभम्।। अर्जुन भजन कौन करता है? जिस व्यक्ति के दिमाग में यह बात निश्चित हो चुकी है कि भजन से बढ़कर दुनियां में कोई लाभ है ही नहीं। परीक्षित ने कहा- भगवन् ! केवल सात दिन बाकी हैं, मेरी जिंदगी के, एक दिन जा रहा है, कैसे उद्धार होगा मेरा? श्री शुकदेव जी ने कहा, देखो परीक्षित ! खटवांग नाम के राजा थे, दो घड़ी में उनका उद्धार हो गया। देवताओं की सहायता करने गये थे, दैत्यों पर विजय पाई। देवताओं ने कहा, वरदान मांग लो, मुक्ति हम नहीं दे सकते, बाकी भोग, पदार्थ जो चाहो ले लो। खटवांग ने कहा- पहले यह बताओ कि मेरी आयु कितनी है? बोले दो घड़ी। खटवांग बोले तो अब क्या मांगू? जब हमें ही मर जाना है तो बटोरने से क्या लाभ होगा? अब मैं भगवान् का ध्यान करूंगा। कुछ नहीं मांगा, बोले बस ध्यान करने दो। दो घड़ी के लिये ऐसा ध्यान लगाया कि- श्री कृष्ण के साथ एक हो गये। दो घड़ी के बाद प्राण छूटे और सीधे बैकुंठ धाम चले गये। श्री शुकदेव जी ने कहा- परीक्षित! यदि दो घड़ी में भगवान् मिल सकते हैं तुम्हें सात दिन भागवत सुनने से क्या भगवान नहीं मिलेंगे? अगर तुम ध्यान से सुन लोगे तो मैं तुम्हें बचन देता हूं कि- सात में दिन तुम अपने आप भगवान् का दर्शन कर सकोगे और शरीर छोड़ने के बाद भगवत धाम की प्राप्ति कर सकोगे। श्रीकृष्ण को प्राप्त कर जाओगे , आवागमन के चक्कर से सदा के लिये मुक्त हो जाओगे। यह समस्त वेद, शास्त्र, पुराणों का सारादि सार है। दूध का सार मक्खन होता है। यह मक्खन है, नवनीत है, इसे पी जाओ। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)