आध्यात्मिक उन्नति को नापने का एक तरीका है सत्संग: दिव्य मोरारी बापू

पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, हम कहां हैं ? प्रतिदिन यह देखते रहना चाहिये कि जीवन में कितना सुधार आया और कितना अभी बाकी है। यदि बिल्कुल सुधार नहीं हो रहा है तो बहुत खतरे की बात है। बार-बार चेतावनी देने पर भी अगर आपकी आंखें नहीं खुलती हैं तो बहुत शर्म की बात है। बरसों बीत गये, जहां पड़ाव डाला था वहीं पड़े हैं। अब तो बहुत तेजी से आपको आगे बढ़ना चाहिये। साधन कि हम मंथर-गति आप लोगों के लिये बहुत हानिकारक है। आप यदि कहेंगे कि हम तो रोज-रोज भजन ध्यान, सत्संग आदि करते हैं और हमने अपना ध्येय तय कर रखा है लेकिन आपको ऐसे मात्र ऊपर ऊपर से नहीं सोचना चाहिये, बल्कि अंदर के भावनाओं का ख्याल करके सोचना चाहिये कि पिछले
गुरुपूर्णिमा के सत्संग में आप यहां आये थे तब आपकी आंतरिक स्थिति कैसी थी ? अगर कुछ परिवर्तन न हुआ तो भगवान के सामने हृदय खोल कर रोना चाहिये, अगर आप अभी रो लेंगे तो भविष्य में रोने का अवसर नहीं आयेगा। अभी एक बार रोने से काम बन जायेगा। आपकी आध्यात्मिक उन्नति कितनी हुई उसे नापने का एक तरीका है। वह मापदंड है समभाव। आपमें समता जितनी अधिक है उतना आप भगवान् के समीप पहुंच चुके हैं और जितना समता का अभाव है उतने भगवान् से हम दूर हैं ऐसा मानना चाहिए। दूसरी एक बात का ख्याल करना चाहिए कि हमारे अंदर निष्काम भाव की कितनी वृद्धि हुई है। अगर स्वार्थ बुद्धि का त्याग अधिक बढ़ रहा है तो समझना कि हम भगवान के नजदीक जा रहे हैं। लेकिन अगर आप में स्वार्थ बुद्धि और भेद बुद्धि दिखाई पड़े तो जानना कि आपका पतन हो रहा है। इस बात को अभी से सोचना है फिर अंतिम समय में कुछ नहीं होगा। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा,
(उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)

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