डीयू: कटऑफ ने लगाया कई विषयों में शतक

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय की इस बार की सौ फीसदी कटऑफ ने दाखिले प्रवेश परीक्षा से लिए जाने के विषय में सोचने को मजबूर कर दिया है। इस बार कई कॉलेजों में कटऑफ 98 से 99 फीसदी तक चली गई है। सौ फीसदी की कटऑफ के कारण कॉलेज प्रिंसिपल भी मान कर चल रहे हैं कि अब दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। एक कॉमन एंट्रेस होने से मूल्यांकन भी एक पैरामीटर पर होगा। हालांकि एंट्रेस में बारहवीं के अंकों को भी वेटेज देना होगा। इस साल डीयू की तैयारी प्र्रवेश परीक्षा से ही दाखिले लेने की थी। लेकिन कट ऑफ से दाखिले लेने का फैसले लेने के कारण इस पर विराम लग गया था। श्री अरविंदो कॉलेज प्रिंसिपल डॉ विपिन अग्रवाल कहते हैं कि जिस तरह से 90-100 फीसदी अंक लाने वाले बढ़े हैं, उससे लगता है कि आने वाले सालों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा ही विकल्प बचता है। डॉ अग्रवाल कहते हैं कि 12वीं में प्राप्त अंकों पर डीयू विराम लगा नहीं सकता। प्रत्येक बोर्ड के मार्किंग केपैरामीटर अलग-अलग हैं। ऐसे में यदि सभी बोर्ड के छात्रों केडीयू में दाखिले के लिए कॉमन परीक्षा होगी तो मूल्यांकन का एक ही पैरामीटर होगा। विषयानुसार परीक्षा आयोजित की जानी चाहिए। जिसमें बारहवीं के अंकों को भी वेटेज मिलना चाहिए। हंसराज कॉलेज प्रिंसिपल डॉ रमा कहती हैं कि छात्र जिस तरह से बारहवीं में अंक ले रहे हैं उससे कॉलेज 99 या 100 कट ऑफ के बाद कितनी अधिक निकालें। प्रवेश परीक्षा ही एक हल बचता है। वैसे भी 99 या 100 में ज्यादा फर्क नहीं है। प्रवेश परीक्षा लिया जाना जरुरी हो गया है। मालूम हो कि बीते साल केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति(एनईपी) 2020 के तहत केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेस टेस्ट के तौर-तरीकों पर गौर करने केलिए एक कमेटी का गठन किया था। चूंकि डीयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है इसलिए उम्मीद की जा रही थी कि डीयू में प्रवेश परीक्षा से दाखिले होंगे। लेकिन प्रवेश परीक्षा की सुगबुगाहट के कारण शिक्षक व छात्र विरोध भी जताने लगे थे। वहीं प्रवेश परीक्षा के लिए डीयू की तैयारी भी नहीं थी। इस कारण से इस साल प्रवेश परीक्षा से दाखिले शुरू नहीं हो सके।

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