Education: देश के कई राज्यों में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या कम होती जा रही है, जबकि प्राइवेट स्कूलों में दाखिले लगातार बढ़ रहे हैं. यह चिंता का विषय बन गया है. केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने मार्च और अप्रैल में राज्यों के साथ हुई बैठकों में इस बात पर चर्चा की. खासकर समग्र शिक्षा योजना के तहत 2025-26 के प्रोजेक्ट्स पर बात करते हुए यह मुद्दा उठा. महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड जैसे कई राज्यों में सरकारी स्कूलों से छात्रों का पलायन हो रहा है.
कोविड के बाद प्राइवेट स्कूलों की बढ़ी मांग
शिक्षा मंत्रालय ने इन राज्यों से इस समस्या की जड़ तक जाने और सुधार के लिए ठोस कदम उठाने को कहा है. मंत्रालय ने बताया कि कोविड के बाद प्राइवेट स्कूलों की मांग बढ़ी है, क्योंकि माता-पिता बेहतर सुविधाओं और पढ़ाई के लिए निजी स्कूलों को प्राथमिकता देने लगे हैं.
इन राज्यों के सरकारी स्कूलों में भी नामांकन घटा
केरल और महाराष्ट्र ने इस कमी को लेकर डेटा की सफाई करने की बात कही है, लेकिन मंत्रालय को अब भी इस गिरावट पर चिंता है. मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में भी सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में नामांकन घटा है. दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लद्दाख, पुडुचेरी और दादरा नगर हवेली जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में भी प्राइवेट स्कूलों में दाखिला सरकारी स्कूलों से ज्यादा है.
मंत्रालय ने राज्यों से समाधान निकालने पर दिया जोर
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा छोटे बच्चों की कक्षाओं में प्राइवेट स्कूलों में दाखिला ज्यादा होता है. हम राज्यों से अनुरोध कर रहे हैं कि वे इस पलायन के कारणों का पता लगाएं और समाधान निकालें. माता-पिता की आकांक्षाएं बढ़ने के साथ प्राइवेट स्कूलों की मांग बढ़ी है.
सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने, सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास
शिक्षा मंत्रालय की यह चेतावनी बताती है कि सरकार को सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने, सुविधाएं बढ़ाने और भरोसा जीतने के लिए तेजी से कदम उठाने होंगे, नहीं तो सरकारी शिक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है. देश के लिए यह चुनौती है कि वह सभी बच्चों को समान और अच्छी शिक्षा पहुंचा सके, खासकर उन परिवारों तक जो प्राइवेट स्कूलों की पहुंच से बाहर हैं.
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