नई दिल्ली। सीबीआई पूर्व जज श्रीनारायण शुक्ला के खिलाफ चार्जशीट दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति का इंतजार कर रही है। एजेंसी ने प्रसाद इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सर्विसेज घूसखोरी मामले में शुक्ला के खिलाफ केस चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से करीब छह महीने पहले अभियोजन मंजूरी मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति अभियोजन चलाने की औपचारिक अनुमति देंगे। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस मामले में जांच पूरी कर ली गई है और एजेंसी के पास आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत हैं। सीबीआई ने दिसंबर 2019 को इस मामले में एफआईआर दायर कर सीबीआई पूर्व जज श्रीनारायण शुक्ला के आवास पर छापेमारी की थी। सीबीआई पूर्व जज श्रीनारायण शुक्ला पर आरोप है कि उन्होंने लखनऊ स्थित मेडिकल कॉलेज प्रसाद इंस्टीट्यूट से उसके हक में फैसले के लिए घूस लिया था। सीबीआई पूर्व जज श्रीनारायण शुक्ला ने इसके लिए उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व जज आईएम कुदूसी से सांठ-गांठ की थी। इस मामले में कुदूसी के साथ प्रसाद इंस्टीट्यूट के भगवान प्रसाद यादव व पलाश यादव और दलाल भगवान पांडेय और सुधीर गिरि भी आरोपी हैं। इनपर आपराधिक षडयंत्र और भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत आरोप तय किया जाना है। एमसीआई ने मई 2017 में इंस्टीट्यूट पर कई कमियों और शिक्षा के मानक पूरा नहीं करने के आधार पर 2017-18 और 2018- 19 के लिए छात्रों के नामांकन पर बैन लगा दिया था। एमसीआई ने इन वजहों से 46 अन्य मेडिकल कॉलेज पर प्रतिबंध लगाया था। प्रसाद इंस्टीट्यूट ने 24 अगस्त, 2017 को एमसीआई के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट मे चुनौती दी। सीबीआई एफआईआर के मुताबिक जस्टिस श्रीनारायण शुक्ला की डिवीजन बेंच में अगले ही दिन मामले में सुनवाई हो गई। इतना ही नहीं, उसी दिन इंस्टीट्यूट के हक में फैसला भी सुना दिया गया।