नई दिल्ली। महंगाई के दबाव में ब्याज दरें बढ़ाए जाने के कयासों पर विराम लगाते हुए आरबीआई गवर्नर ने मौद्रिक नीतियों पर नरम रुख बनाए रखने का भरोसा दिलाया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक के साथ सालाना बैठक में उन्होंने कहा कि विकास दर में स्थिरता आने तक ब्याज दरें कम रहेंगी। गवर्नर शक्तिकांत दास ने दावा किया कि अर्थव्यवस्था अब कोरोना के दबाव से काफी हद तक बाहर निकल चुकी और तेज सुधार की राह पर है। बावजूद इसके अभी कई क्षेत्रों पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे में मौद्रिक नीतियों का नरम रुख आगे भी बरकरार रखने की जरूरत है। दास ने बढ़ती महंगाई पर चिंता जताते हुए कहा कि हम इस पर करीबी निगाह बनाए हुए हैं। खुदरा महंगाई का हमारे नीतिगत फैसलों पर काफी असर पड़ता है। हालांकि पिछले कुछ महीनों से खुदरा महंगाई दर में गिरावट आ रही, जो सितंबर में घटकर 5.3 फीसदी हो गया है। बावजूद इसके कुछ समय तक मौद्रिक नीतियों और ब्याज दरों को नरम रखने की जरूरत है। अभी रेपो दर 4 फीसदी है, जो मार्च 2020 के बाद से बनी हुई है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने न सिर्फ इस संक्रमण पर अकेले काबू पाया, बल्कि दुनिया को भी लड़ाई में सहारा दिया। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आईएमएफ और विश्व बैंक के साथ सालाना बैठक में कहा, महामारी के दबाव में भी भारत सरकार ने कई सुधारवादी फैसलों से सतत विकास की आधारशिला रखी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आर्थिक मदद के साथ ढांचागत सुधारों पर भी जोर दिया। इससे नए अवसर पैदा होने के साथ अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली और हम तेजी से सुधार की राह पर आ गए। भारत ने कोविड से लड़ने में दुनियाभर की मदद की और 95 देशों को 6.63 करोड़ वैक्सीन की डोज का निर्यात किया। आईएमएफ ने भी 2021 में 9.5 फीसदी और 2022 में 8.5 फीसदी की तेज विकास दर का अनुमान लगाया है। सुधारों के दम पर ही भारत ने पिछले एक साल में 82 अरब डॉलर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया।