hot weather: झमझमाती और झुलसती हुई गर्मी के चढ़ते हुए पारे की वजह से जीवन की हालत अस्त-व्यस्त हो जाती है. कहीं भी बाहर जाने का मन नहीं करता बाहर जाते ही चक्कर आने लगते हैं और घर में गर्मी चैन से रहने भी नहीं देती, बिना एसी-कूलर के तो गर्मी में रहने के लिए सोचना भी मुश्किल है. कुछ नए रिसर्च के दौरान ऐसा सामने आया है कि हीटवेव अगली हीटवेव के लिए काफी हद तक अनुकूल परिस्थितियां पैदा कर सकती है,
जिसके दौरान दो बार भीषण गर्मी और लू की संभावना जताई जा रही है. भारत में गर्मी का तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है. उत्तर से लेकर दक्षिण तक गर्मी की भारी चिंता जारी है.
बढ़ती हुई सर्दी हो या फिर गर्मी का मौसम की मार हमेशा सबसे ज्यादा गरीबों पर ही पड़ती है. क्योंकि कम उम्र की लोगों में यह क्षमता अधिक नही होती है।
गर्मी के कारण बन सकता है मौत का खतरा
भारत में हर साल भीषण गर्मी को लेकर यह जारी किया जाता है, कि तापमान 43 से 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाने पर गर्मी का खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसलिए हर बार मौसम विभाग अलर्ट जारी करके कहता है कि बेवजह दिन के समय में घर से बाहर न निकलें. जितना अधिक हो सकें धूप से बचाव करे, सूती कपड़े से खुद को ढंककर रखें. समय समय पर पानी का सेवन करते रहें और परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. हालांकि इसके बाद भी लोग हीटवेव की चपेट में आ ही जाते हैं.
इस महीनों में गर्मी से हो जाते है बेहाल
दरसअल भारत में गर्मी के तीन महीने हैं, जो कि हद से ज्यादा बेहाल कर देते हैं. वो हैं अप्रैल, मई और जून. इस समय भारत में गर्मी के मौसम में ज्यादा भयंकर गर्मी होती है. इसके बाद मानसून का सीजन आता है और थोड़ी राहत मिलती है. और शरीर को काफी सुकुन मिनता है मानसून में तापमान गिरना शुरू होता है, लेकिन पिछले एक दशक से गर्मी का सितम लगातार बढ़ता ही जा रहा है और ऐसे में देश के कई हिस्सों में पानी की कमी शुरू हो जाती है.
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