लाइफस्टाइल। क्रोध और तनाव किसी भी व्यक्ति के जीवन के लिए काफी हानिकारक है। अक्सर ऐसा होता है कि छोटी-छोटी बातों का आपका मूड खराब हो जाता है। आपका इस तरह का व्यवहार आसपास के माहौल को भी प्रभावित करता है। परिवार, पार्टनर और दोस्तों से आप दूर होने लगते हैं। मूड खराब होने के कई लक्षण भी आप महसूस करते हैं। जैसे हो सकता है कि आपका किसी काम में मन न लगें। घर या ऑफिस में भी मन न लगे। ऐसी स्थिति में आप लोग अकेले रहना पसंद करते हैं। किसी से न तो बात करना चाहते हैं और न ही वक्त बिताना चाहते हैं। कई बार तो अकेले में आपका बेवजह रोने का मन भी करता है। कुछ लोग आत्महत्या के बारे में सोचने लगते हैं। चिंता की बात यह है कि इस लक्षणों के दिखने के बाद भी लोग समझ नहीं पाते कि आखिर उनके साथ समस्या क्या है। दरअसल, ये सारे लक्षण अवसाद के हैं। तनाव या अवसाद की स्थिति में माइंड काम करना बंद कर देता है। जो आपके जीवन के लिए काफी नुकसानदेह हो जाता है। तो चलिए जानते हैं कि यदि आप भी इन लक्षणों को महसूस कर रहे हैं तो किन उपायों के जरिए इससे राहत पा सकते हैं।
मूड ठीक करने के तरीके :-
सबसे पहले तो अपना मूड ठीक करने की कोशिश करें। इसके लिए ऐसा खानपान अपनी डाइट में शामिल करें तो सेहत और मन दोनों के लिए लाभकारी हो। सैल्मन, अखरोट आदि का सेवन अधिक करें। इसके अलावा आप सूखे मेवे, मछली और सब्जी आदि का सेवन करें। केला और मछली को डाइट में शामिल कर सकते हैं।
ज्यादातर लोग अवसाद की स्थिति में शराब और सिगरेट का सेवन करना शुरू कर देते हैं। लेकिन मादक पदार्थ आपको अवसाद से बाहर नहीं निकालते, बल्कि इस स्थिति की ओर अधिक धकेलते हैं। इसलिए जब मूड खराब हो, तो शराब का सेवन बिल्कुल न करें। इस अवस्था में शराब का गलत प्रभाव पड़ सकता है।
अपने मूड को ठीक करने के लिए मेडिटेशन करें। योग और ध्यान मन और शरीर दोनों को हल्का करता है। जिन बातों से आपका मूड खराब होता है, उसे दिमाग से निकालने के लिए ध्यान लगाएं।
मूड को ठीक करने के लिए प्रेरणादायक कोट्स और भाषण सुनें। अध्यात्म भी आपकी मदद कर सकता है। इस तरह की चीजों को अपने जीवन में शामिल करने से आप आशावादी बने रहेंगे।
मूड ठीक न होने पर लोग अकेले रहना चाहते हैं। लेकिन आपकी स्थिति अधिक न खराब हो इसलिए दोस्तों या परिवार के साथ हैंगआउट की योजना बना सकते हैं। किसी ट्रिप पर जाएं ताकि जगह बदलने पर मूड भी बदले। अधिक समस्या महसूस होने पर चिकित्सक या मनोरोग विशेषज्ञ से मिलें और उनकी सलाह लें।