कलयुग में योगमार्ग और ज्ञानमार्ग से ईश्वर-प्राप्ति है कठिन: दिव्य मोरारी बापू

राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य एवं उत्तम व्यवस्था में सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना से समस्त भक्तों के स्नेह और सहयोग से श्री राम कथा महामहोत्सव। कथा का समय-दोपहर 12:15 से 4:15 तक। दिनांक 16-12-2021 से 24-12-2021 तक। कथा स्थल-पृथ्वीराज मैरिज गार्डन खटवा रोड न्यू कॉलोनी लालसोट। वक्ता-राष्ट्रीय संत श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर श्री दिव्य मोरारी वापू। कथा का विषय-श्रीरामचरितमानस में- मानस सर, याज्ञवल्क्य भारद्वाज संवाद, श्रीअगस्त आश्रम पर शिव सती का आगमन, शिव जी द्वारा भगवान राम की महिमा का गान। सत्संग के अमृत बिन्दु-शरीर अर्पण-अर्थात् अहंकार (अभिमान) अर्पण करना। दान देने वाला दीन न बने तो दान असफल होता है। शरीर की उत्पत्ति ही काम से हुई है। अतः कलयुग में योगमार्ग और ज्ञानमार्ग से ईश्वर-प्राप्ति कठिन है। हरि-कीर्तन सबसे सरल उपाय है। शरीर को सादा रखो। शरीर मात्र भस्म है- एक मुट्ठी राख। अतः इसका विशेष लाड-प्यार एवं श्रृंगार मत करो। शरीर से अधिक पाप नहीं होता, पाप मन से अधिक होता है। अतः सावधान रहना चाहिए मन से पुण्य कर्म ही हो ऐसा प्रयास करना चाहिए। शरीर से अधिक लाड-प्यार न करो। शरीर से-पाप होना ही है ऐसा लगे तो भगवान् के नाम का कीर्तन करो। परमात्मा को साथ रखने से सांसारिक कामना घटती है। भगवान उसे बचाते है। शरीर से भगवान् की खूब सेवा करोगे, तो तमोगुण कम होगा। ईश्वर-सेवा में धन खूब खरचोगे, तो रजोगुण कम होगा। तन और धन लगाओ, किन्तु मन नहीं लगाओगे, तो भगवान प्रसन्न नहीं होते। मन से सेवा न हो तो सेवा में आनंद नहीं आता। मन विषयों में और तन ठाकुर जी के पास- यह नहीं चलेगा। सेवा में आंसू आयें तो मानना कि भगवान् ने कृपा की है। शरीर-सौंदर्य नहीं, हृदय का सौंदर्य देखो। एक ईश्वर ही नित्य सुंदर है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं नवनिर्माणाधीन गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना-श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर
जिला-अजमेर (राजस्थान)

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