हिमाचल प्रदेश। पहले खाद, फिर कई दवाओं और सर्दियों में बहुत ज्यादा इस्तेमाल होने वाले कॉपर सल्फेट के दाम लगभग दोगुना हो गए है। इससे सेब की फसल उगाने की लागत भी बढ़ गई है। सेब बागवानों को अभी कॉपर सल्फेट का एक किलो का पैकेट 350 रुपये में मिल रहा है, जबकि एक साल पहले यह 150 से 200 रुपये में मिल जाता था।
इतने ज्यादा रेट बढ़ने के बाद सेब बागवान परेशानी में हैं। कॉपर सल्फेट को आम बोलचाल में नीला थोथा कहा जाता है। इसे चूने में मिलाया जाता है और इसका सेब के पौधों पर छिड़काव किया जाता है, जिससे कई तरह के फंगस और अन्य रोग खत्म होते हैं।
सेब के तनों में इसकी चूने के साथ मिलाकर लिपाई भी की जाती है, जिससे सेब के पौधे रोगमुक्त रहें। सेब का राज्य में करीब 5000 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार है। यहां का सेब देश के कोने-कोने में ही नहीं, बल्कि नेपाल और भूटान जैसे देशों तक जाता है।