नई दिल्ली। आज से नई दिल्ली में सातवीं ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट की शुरुआत हो गई है। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ग्लोबल टेक्नोलॉजी शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का विकास भारतीय प्रौद्योगिकी के विकास से गहराई से जुड़ा हुआ है।
बता दें कि यह सम्मेलन तीन दिन तक चलने वाला है। कार्यक्रम के दौरान प्रौद्योगिकी, सरकार, सुरक्षा, अंतरिक्ष, स्टार्टअप, डाटा, कानून, सार्वजनिक स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, शिक्षाविदों, अर्थव्यवस्था आदि में दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञ प्रौद्योगिकी और इससे जुड़े अहम सवालों को उठाएंगे और उन पर चर्चा करेंगे। इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी विदेश मंत्रालय और कारनेगी इंडिया कर रहे हैं।
ग्लोबल टेक्नोलॉजी शिखर सम्मेलन-2022 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए डॉ. एस जयशंकर ने कहा कि प्रौद्योगिकी आज भू-राजनीति के केंद्र में है। टेलीकॉम की डोमेन में भारत को विश्वसनीय की अवधारणा से देखा जाता है। मुझे लगता है कि हम आने वाले दिनों में डिजिटल पक्ष पर भी भारत की विश्वसनीय के बारे में सुनेंगे।
जीटीएस 2022 में 50 से अधिक पैनल चर्चा, मुख्य भाषण, पुस्तक विमोचन और अन्य कार्यक्रमों में 100 से अधिक वक्ता भाग लेंगे। अमेरिका, सिंगापुर, जापान, नाइजीरिया, ब्राजील, भूटान, यूरोपीय संघ और अन्य देशों के मंत्री और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दुनिया भर से करीब 5000 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है। इनके अलावा बड़ी संख्या में प्रतिभागी जीटीएस समिट वेबसाइट और कार्नेगी इंडिया के यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया पेजों के माध्यम से इस संवाद में शामिल होंगे।
डाटा अब राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय :-
विदेश मंत्री ने कहा कि हमारा डाटा कहां जा रहा है यह अब व्यवसाय और अर्थशास्त्र का नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय है। हमारी इस दुनिया में हर चीज को हथियार बनाया जा रहा है, हमें अपना दृष्टिकोण बदलना होगा कि अपने हितों की रक्षा कहां करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क पर काम शुरू कर दिया है। अमेरिका इसके लिए आगे आ रहा है। इसमें तकनीक और आपूर्ति श्रृंखला मूल तत्व हैं। इसपर विभिन्न साझेदारों जैसे आईपीइएफ और क्वाड की बहुत सारी द्विपक्षीय चर्चाएँ हुई हैं।