नई दिल्ली। भारत समेत अन्य देशों में रोजाना करोड़ों लोग ट्रेनों के जरिए अपने सफर को तय करते है। इस बदलते हुए समय के साथ-साथ रेलवे में सुविधाओं का भी तेजी से विस्तार हो रहा है। कहीं ट्रेन सुरंग के अंदर चल रही है तो कहीं समुद्र तल से काफी ऊंचाई पर बने ब्रिज से गुजर रही है। इसी कड़ी में दुनिया की सबसे लंबी रेलवे सुरंग बन रही है। मुख्य बात तो यह है कि यह सुरंग समंदर के अंदर बन रही है।
इस सुरंग के बनने से 2 शहर नहीं बल्कि 2 देश आपस में जुड जाएगें। यह ‘अंडरवाटर टनल’ 2029 बनकर तैयार हो जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार इस सुरंग की लंबाई 18 किलोमीटर होगी। इस अहम रेलवे प्रोजेक्ट पर करीब 62,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इस सुरंग के लिए तैयार 89 बड़े क्रंकीट सेक्शन को एक साथ क्रेन की मदद से बाल्टिक सागर में 40 मीटर नीचे रखा जाएगा।
समंदर के 40 मीटर अंदर 18 किमी लंबी सुरंग
बाल्टिक सागर से 40 मीटर अंदर बन रही यह सुरंग जर्मनी के फेहमर्न और डेनमार्क के लौलैंड आइलैंड को जोड़ेगी। यह यूरोप में सबसे बड़े इंफ्रा प्रोजेक्ट में से एक है। दरअसल मौजूदा वक्त में दोनों देशों के बीच करोड़ों लोग नाव से आना-जाना करते हैं, जिसमें 45 मिनट का समय लगता है लेकिन अब इस सुरंग के बनने और इस पर रेल के चलने से यह दूरी 7 मिनट में तय हो जाएगी।
इस टनल का ऑफिशियल नाम फेहमर्न बेल्ट फिक्स्ड लिंक है। यह दुनिया की सबसे लंबी रेल और सड़क मार्ग वाली सुरंग होगी। जिसमें दो डबल रोड लेन होगी, जबकि सर्विस लेन अलग से होगी। वहीं, 2 इलेक्ट्रिक रेल ट्रेक होंगे। इस अहम प्रोजेक्ट को 2008 में मंजूरी मिल गई थी।
इस सुरंग के बनने के बाद डेनमार्क टनल से आने-जाने के लिए हाई-स्पीड इलेक्ट्रिक रेल लाइन बनाने की मंशा है। वहीं, फेहमर्न बेल्ट सुरंग सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है। क्योंकि इसके बनने मध्य यूरोप में कनेक्टिविटी और बेहतर हो जाएगी। इस सुरंग के जरिए रेल और सड़क मार्ग से माल-ढुलाई सरल होगा।