बंगलूरू। अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए करीब तीन हजार सक्रिय उपग्रह मानव के लिए कई प्रकार के काम कर रहे हैं। इनमें 53 उपग्रह भारतीय हैं। इन उपग्रहों के अलावा औसतन 27 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हजारों निष्क्रिय उपग्रहों, रॉकेटों व अन्य उपकरणों का मलबा भी वहां टुकड़ों में तैर रहा है।
मलबे की गति इतनी तेज है कि मलबे से आया एक सेमी का छोटा टुकड़ा भी किसी सक्रिय उपग्रह से टकरा कर उसे नष्ट कर सकता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने इस खतरे को टालने के लिए ‘इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट’ (आईएस4ओएम) प्रणाली तैयार की है।
केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह, इसे अंतरिक्ष विभाग के अध्यक्ष व इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ की मौजूदगी में सोमवार को लॉन्च करेंगे। इसरो के सूत्रों से पता लगा है कि भारत में ही बना आईएस4ओएम देश के विकास के लिए अंतरिक्ष का उपयोग करने में भी मदद करेगा।
इसरो के मुताबिक आईएस4ओएम एक ऐसी प्रणाली है जो अंतरिक्ष में सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने की दिशा में एक समग्र रुख रखती है और साथ ही, बाहरी अंतरिक्ष के सतत उपयोग के फायदे उपलब्ध कराती है।
इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘यह अंतरिक्ष में मलबे का पता लगाने और उसकी निगरानी के लिए अंतरिक्ष पारिस्थितिजन्य जागरूकता कार्यक्रम का हिस्सा है।’ अधिकारी ने कहा, ‘आईएस4ओएम हमारी अंतरिक्ष संपत्ति की सुरक्षा करने में आत्मनिर्भरता बढ़ाएगी और यह मलबा प्रबंधन पर संयुक्त राष्ट्र के निर्देशों के अनुरूप है।’