वाराणसी। 2014 में नरेंद्र मोदी वाराणसी के सांसद बनने के बाद जब प्रधानमंत्री बन कर लौटे तब बिजली के तारों में उलझी काशी के विकास को सुलझाना शुरू किया। इसके बाद प्रदेश की बागडोर योगी सरकार के हाथों में आने पर डबल इंजन की ताकत ने आईपीडीएस योजना के तहत उलझे तारों को सुलझा कर वाराणसी में विकास की नई धारा का प्रवाह शुरू किया। इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम (आईपीडीएस) योजना के वाराणसी में अबतक 2294.91 किमी तार को अंडरग्राउंड किया जा चुका है। इसके अलावा योगी सरकार के 6 वर्ष के कार्यकाल में पुरानी काशी को तारों के मकड़जाल से पूरी तरह से मुक्त करा दिया गया है।
बीते 6 साल में काशी विकास का मॉडल बनकर उभरी है। काशी की गलियों से लेकर अन्य जगहों पर विकास की रोशनी तारों के जंजाल में फंस कर रह गई थी। मोदी-योगी की सरकार ने इन तारों को सुलझाया और वाराणसी के पुराने क्षेत्रों से लेकर नए इलाकों में विकास का प्रवाह तेज हो गया। जिससे सड़क पर खड़े ज्यादातर खंभे अब देखने को नहीं मिलते। तारो में उलझी प्राचीन काशी की गलियों और अन्य इमारतों की खूबसूरती भी तारों के अंडरग्राउंड होने से निखरने लगी है। वहीं बिजली की चोरी भी रुकी है। खुले और बेतरतीब फैले तारों से दुर्घटना की आशंका हरदम बनी रहती थी।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों के मुताबिक़ ओल्ड काशी के विभिन्न इलाके और क्षेत्रों को मिलकर लगभग 2,294.91 किमी के बेतरतीब तारों को अंडरग्राउंड किया गया है। इसकी लागत लगभग 650 करोड़ आई है। जिसमें अकेले पुरानी काशी (जिसे पक्का महाल भी कहते हैं) इसमें 363 करोड़ की लगात से 1550.41 किमी बिजली के तार को अंडरग्राउंड किया गया है। पूरे वाराणसी के आईपीडीएस के कामों को देखा जाए तो 33 केवी के बिजली के तार को लगभग 125.534 किमी, 11 केवी के लगभग 479.722 किमी, एलटी के 1689.654 किमी तार को आईपीडीएस योजना के तहत अंडर ग्राउंड किया गया है। तारों में फंसी काशी को सुलझाने का काम आईपीडीएस योजना में 2016 में शुरू हुआ तब जाकर 2022 में विकास की रोशनी फैली।