एस्ट्रोलॉजी। ज्योतिष शास्त्र के हिंदू धर्म में लगभग सभी देवी देवताओं की पूजा पाठ के लिए निश्चित समय माना गया है। ऐसा माना जाता है कि सही समय पर पूजा पाठ करने से व्यक्ति को शुभता प्राप्त होती है। वैसे ही हनुमान जी की पूजा का समय भी निश्चित होता है। बहुत से लोगों के मन में यह सवाल रहता है, कि हनुमान जी की पूजा किस समय करनी चाहिए? जिससे पूजा का शुभ फल प्राप्त हो सके। शास्त्रों के मुताबिक बताया गया है कि हनुमान जी की पूजा सुबह अथवा शाम के समय ही करनी चाहिए। हिंदू धर्म पुराणों के मुताबिक बजरंगबली की पूजा करने से कुंडली में मौजूद निर्बल ग्रह प्रबल होते हैं, और शुभ फल देते हैं। शनि की महादशा और साढ़ेसाती को दूर करने के लिए भी हनुमान जी की पूजा करना लाभकारी होता है, लेकिन दोपहर के समय हनुमान जी की पूजा कभी भी ना करें, शास्त्रों में इसके पीछे की रोचक कथा बताई जाती है।
रामचरितमानस के सुंदरकांड में हनुमान जी कहते हैं “प्रात नाम जो लेई हमारा, तेहि दिन ताहि न मिलहि आहारा।” मतलब प्रातः काल में जो उनका नाम लेता है उसे दिनभर आहार नहीं मिलता। हनुमान जी वानर रूप धारी हैं, और साथ ही देवता भी हैं, और देवताओं का नाम बिना स्नान और पवित्र हुए बिना नहीं लिया जाना चाहिए। इसलिए हनुमान जी का नाम लेना और पूजन करना है तो प्रातः काल स्नान करके पवित्र होने के बाद ही पवित्र भाव से ही उनका नाम लिया जाना चाहिए। ऐसा करने से कोई दोष नहीं लगता और हनुमान जी की कृपा भी प्राप्त होती है.
संध्या काल में हनुमान जी की पूजा
ज्योतिष शास्त्र में बजरंगबली की पूजा शाम के समय करना शुभ मंगलकारी बताया गया है। साथ ही ज्योतिषी उपायों में भी कहा गया है, कि रात में 8:00 के बाद घी का दीपक जलाकर हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ फलदाई होता है। हनुमान जन्मोत्सव हो या अन्य सामान्य दिन, शाम के समय हनुमान जी की पूजा करने से मन में किसी प्रकार का क्लेश और भय नहीं रहता। इसके अलावा प्रतिकूल ग्रह दशाओं से भी व्यक्ति आसानी से निकल जाता है।
दोपहर में नहीं होती हनुमान जी की पूजा
मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी की पूजा दोपहर के समय फलीभूत नहीं होती। इस समय की गई पूजा को हनुमान जी स्वीकार नहीं करते। ऐसा माना जाता है कि दोपहर के समय हनुमान जी भारतवर्ष में नहीं रहते इस समय विभीषण जी को दिए गए वचन के अनुसार हनुमान जी लंका चले जाते हैं इसी वजह से दोपहर में हनुमान जी की पूजा नहीं की जाती।
दोपहर की पूजा नहीं स्वीकारते हनुमान जी
रामायण के अनुसार विभीषण जी हनुमान जी से स्नेह रखते थे। उन्होंने हनुमान जी से आग्रह किया था, कि आप हमारे साथ लंका में ही निवास करें, लेकिन राम भक्त हनुमान भगवान राम से दूर नहीं रह सकते थे, इसलिए उन्हें उन्होंने लंका में रहने से मना कर दिया, लेकिन उन्होंने विभीषण को एक वचन दिया। हनुमान जी ने विभीषण से कहा कि वह नियमित रूप से दिन में दोपहर के समय लंका आएंगे और संध्या के समय वापस चले जाएंगे। शाम के समय हनुमान जी लंका से लौट कर आ जाते हैं, इसलिए शाम के समय हनुमान जी की पूजा करना फलदाई होता है।