रोचक जानकारी। प्रकृति में पदार्थ चक्र स्वरूपों में पृथ्वी में उपस्थित रहते हैं। पौधे जब जमीन के नीचे दबते हैं तो उनके सड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। लेकिन कई बार उनका जीवाश्म बन जाता है उसी जीवाश्म से तेल और प्राकृतिक गैस भी बनती हैं जिनसे प्लास्टिक बनता है। सामान्यतः सभी जैविक पदार्थ विखंडनीय या सड़नशील होते हैं। पौधों के जीवाश्म से बने तेल से ही प्लास्टिक बनता है, लेकिन वह प्राकृतिक रूप से सड़नशील या विखंडनीय नहीं होते हैं। ऐसे सवाल स्वाभाविक तौर पर उठता है ऐसा क्यों या कैसे है। तो आइए जानते हैं इस सवाल पर विज्ञान क्या कहता है?
पेट्रोलियम से अणुओं की शृंखला –
प्राकृतिक तेल और गैस वास्तव में पैट्रोलियम होते हैं जिसे जीवाश्म ईंधन भी कहते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवाश्म से बने होते हैं। ये जीव लाखों सालों तक जमीन के नीचे दबे रहते हुए गर्मी और दबाव के कराण जीवाश्म ईंधन में बदल जाते हैं। पेट्रोलियम में ही बहुत सारा प्रोपायलीन नाम का रसायन होता है जिसका शोधन करने के लिए उत्प्रेरक की मदद से उसे गर्म किया जाता है। इससे प्रोपायलीन के अणु आपस में एक दूसरे से शृंखला के रूप में जुड़ जाते हैं।
कैसे मजबूती मिलती है प्लास्टिक को –
इसी शृंखला को पॉलिमर कहते हैं जिसमें एक विशाल अणु कई छोटे अणु की शृंखला के रूप में बनता है। इसका नाम पॉलीप्रोपायलीन है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है बहुत सारे प्रोपायलीन। इन अणुओं के बंध बहुत मजबूत हैं और इसी मजबूत बंध की वजह से प्लास्टिक को मजबूती मिलती है जो कई रासायिक संयोजनों में आता है।
वहीं दूसरी ओर जब कोई पदार्थ, जैसे कि कोई लकड़ी या फल जैविक रूप से विखंडनीय होता है या सड़नशील होता है, उसके सड़ने की प्रक्रिया में प्रकृति मे मौजूद सूक्ष्म जीव उसे रासायनिक रूप से तोड़ते हैं और उनके पॉलिमर का पाचन करते हैं। इसके लिए एन्जाइम यानि विशेष तरह के प्रोटीन इन यौगिकों के विखंडन में मदद करते हैं। यह वैसा ही है जैसे इंसान के शरीर में खाना पचता है।