गुजरात। सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि दो पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर देश की रक्षा क्षमता में विकास राष्ट्रीय आवश्यकता बन गई है। विघटनकारी प्रौद्योगिकी आधुनिक विश्व के चरित्र को तेजी से बदल रही है। गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू) और भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोगों और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) के बीच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि आधुनिक युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए जरूरी है कि शिक्षण के साथ ऑपरेशनल समझ भी बढ़ाई जाए। दूसरे देशों की उन्नत तकनीक पर निर्भरता युद्ध या संघर्ष के दौर में कई मुश्किलें पैदा करती है। ऐसे मे भारतीय सेना और बीआईएसएजी-एन के बीच की यह साझेदारी अब इस संकट का स्वदेशी समाधान खोजने में मदद करेगी। इस समझौते के मूल में आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा है। इससे रक्षा क्षमता विकास में अधिक से अधिक ‘नागरिक-सैन्य संलयन’ का मार्ग प्रशस्त होगा।