पुष्कर/राजस्थान। अगर मनुष्य जीवन मिला है तो कम से कम एक बार चारों धाम की यात्रा कर लेना चाहिए। सप्तमोक्ष दायक पुरियों की यात्रा कर लेना चाहिए,और द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा भी एक बार अवश्य करना चाहिए। द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने में- उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम संपूर्ण भारत का दर्शन हो जाता है। एक बार तीर्थयात्रा हो जाय, उसके बाद नित्य पूजा-पाठ के समय मानसिक तीर्थ यात्रा करना चाहिए। जैसे आप सभी तीर्थों में पधारे थे अथवा जिन तीर्थों में पधारे थे, उसी भाव से तीर्थ में मन से पधारना मानसिक तीर्थ यात्रा है। मानसिक तीर्थ यात्रा एक बार प्रत्यक्ष तीर्थयात्रा करने के बाद ही सम्भव है, लेकिन मानसिक तीर्थयात्रा का फल प्रत्यक्ष तीर्थ यात्रा से भी अधिक मिलता है। एकादश रुद्र और द्वादश ज्योतिर्लिंग का स्मरण विशेष फलदाई है। सुरभि और कश्यप के यहां एकादश रुद्र उत्पन्न हुए, इनकी उपासना करने से दस इंद्रिय और एक मन से होने वाला पाप समाप्त हो जाता है।
शिव महापुराण अट्ठारह पुराणों में पांचवा पुराण है, अगर पाँच बार सुन लिया जाय तो व्यक्ति शिव स्वरूप हो जाता है। पंचावृत्ति प्रकर्तव्या: पुराणस्यास्य श्रद्धया। परं फलं समुद्दिश्य तत् प्राप्नोति न संशयः।। अगर श्री शिव महापुराण सात बार सुन लिया जाय तो- लभन्ते शिव दर्शना, श्रीशिवमहापुराण भुक्ति, मुक्ति को देने वाला है और भक्ति को बढ़ाने वाला है। श्रीशिवमहापुराण के अंतिम श्लोक का अर्थ- श्री शिव महापुराण जिन्होंने सुनाया और जिन-2 भक्तों ने सुना, भगवान भोलेनाथ अपने गणों के साथ, पुत्रों के साथ, भगवती पार्वती के साथ, उनका कल्याण करते हैं और उन्हें शांति प्रदान करते हैं। परम पूज्य संत श्री घनश्याम दास जी महाराज ने बताया कि- कल से श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ का शुभारंभ होगा, कल की कथा में श्रीमद्भागवतमहापुराण का माहात्म्य् एवं मंगलाचरण की कथा होगी। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी,बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन,जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)।