Delhi: दिल्ली पुलिस ने अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करने वाले मुख्य गिरोह को पकड़ा है। इसमें देवेंद्र शर्मा उर्फ ‘डॉक्टर डेथ’ और उसके साथियों पर 100 से ज्यादा लोगों की हत्या करने का आरोप लगा है। ये लोग 200 से ज्यादा लोगों से किडनी ट्रांसप्लांट कराने के नाम पर एडवांस रकम ले चुके थे। जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था तब इसका खुलासा हुआ था। यह 125 लोगों की किडनी अवैध रूप से निकालकर ट्रांसप्लांट करा भी चुका था। इसके तार कई राज्यों में फैले किडनी रैकेट से जुड़े थे।यह गिरोह सिलिंडरों से लदे ट्रकों को लूटता और सिलिंडर देवेंद्र अपनी फर्जी गैस एजेंसियों पर बेचता था। इस मामले में वह गिरफ्तार भी हुआ था। जमानत पर आने के बाद वह किड़नी ट्रांसप्लांट करने वाले गिरोह से जुड़ गया। यह गिरोह किराये पर टैक्सी बुक करता और चालक की किड़नी निकालकर उसकी हत्या कर देता था और शव कासगंज में हजारा नहर में फेंक देता। पुलिस जांच में भी यह सामने आ चुका है
कई संगीन मामले दर्ज, हिस्ट्रीशीटर भी है देवेंद्र
देवेंद्र अलीगढ़ के थाना का हिस्ट्रीशीटर है। उस पर वर्ष 1994 में पहला मामला थाना बरला में कातिलाना हमले का दर्ज हुआ था। उसके बाद उस पर दर्ज अपराधों की फेहरिस्त बढ़ती गई।साल 1996 में मथुरा में हत्या का मामला दर्ज हुआ। 1996 में रोजा शाहजहांपुर में लूट, 2001 में पलवल हरियाणा में अपहरण, इसी साल अमरोहा में फर्जी गैस एजेंसी चलाने का मामला दर्ज हुआ। 2002 में बदरपुर में अपहरण, इसी साल अपहरण और हत्या, फरीदाबाद में अपहरण व हत्या, हिंडोन सिटी राजस्थान में हत्या की वारदात की। इसी साल सोरों कासगंज और बांदीकुई राजस्थान में चोरी के साक्ष्य मिटाने में गिरफ्तार हुआ।2003 में पलवल हरियाणा में अपहरण और हत्या की दो वारदात, 2004 में होडल में हत्या, इसी साल अतरौली में भी हत्या की वारदात की। वर्ष 2014 में फर्जीवाडा कर श्यौराज को जेल भिजवाने का मामला उसके खिलाफ दर्ज किया गया। इसी साल बरला में कारोबारी मयंक गोयल पर जेल से हमला कराने की साजिश, इसी साल से मयंक से रंगदारी मांगने का भी मामला दर्ज किया गया था। साल 2020 में पैरोल आने के बाद भागने का मामला, लालकोठी जयपुर में शून्य अपराध संख्या पर दर्ज हुआ हत्या और लूट का मामला जांच के लिए थाना सासनी जिला हाथरस भेजा गया था।
एक ट्रांसप्लांट पांच से सात लाख रुपये
किडनी ट्रांसप्लांट गैंग का खुलासा 2004 में हुआ था। मुरादाबाद में उस समय पुलिस कप्तान रहे प्रेमप्रकाश ने इस गिरोह को गिरफ्तार किया था। डा. अमित उस समय नेपाल भाग गया था जिसे वहां से गिरफ्तार किया गया था। उस समय जो जानकारी मिली थी उसके मुताबिक वह पांच से सात लाख रुपये ट्रांसप्लांट के लेता था। उस समय भी इस गिरोह ने दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब के उन लोगों से एडवांस ले रखा था जिन्हें किसी अपने की किडनी ट्रांसप्लांट करानी थी।
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