New Delhi: देश की राजधानी दिल्ली अब प्रदूषण से लड़ने के लिए आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम वर्षा) पायलट प्रोजेक्ट अब पूरी तरह तैयार है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से क्लाउड सीडिंग यानी कृत्रिम बारिश से संबंधित दिल्ली सरकार की पायलट परियोजना को मंजूरी दे दी है.
छोटे विमानों के जरिए कराई जाएगी कृतिम बारिश
इस पायलट प्रोजेक्ट का वैज्ञानिक संचालन आईआईटी कानपुर के पास रहेगा. आईआईटी की टीम फ्लेयर टेक्नोलॉजी से लैस छोटे विमान के जरिए कृतिम बारिश करने के लिए सिल्वर आयोडाइड, आयोडीन सॉल्ट और रॉक सॉल्ट जैसे मिश्रण को बादलों में छोड़ेगी. लगभग 90 मिनट की उड़ान के दौरान करीब 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया जाएगा।
सिरसा ने बताया कब होगी कृत्रिम बारिश
मंत्री सिरसा ने कहा कि पायलट परियोजना स्वच्छ हवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि आईएमडी उड़ान योजना में सहायता के लिए बादलों के प्रकार, ऊंचाई, हवा की दिशा और ओस बिंदु सहित वास्तविक समय के मौसम संबंधी डेटा प्रदान करेगा। सीडिंग जमीन से 500 से 6,000 मीटर ऊपर स्थित निंबोस्ट्रेटस बादलों को लक्षित करेगी, जिनमें नमी का स्तर कम से कम 50 प्रतिशत होगा।
3.21 करोड़ रुपये आएगा खर्च
कृत्रिम बारिश की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन सीडिंग क्षेत्रों में और उसके आस-पास PM2. 5 और PM10 के स्तर में वास्तविक समय में होने वाले परिवर्तनों को ट्रैक करेंगे। आधिकारिक बयान के अनुसार, 3.21 करोड़ रुपये की इस पायलट परियोजना को दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है। आईआईटी कानपुर ने पहले सूखाग्रस्त क्षेत्रों में क्लाउड सीडिंग के सात सफल प्रयोग किए हैं। यह शहरी वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए इसकी व्यवहार्यता का पता लगाने का पहला प्रयास है।
प्रदूषण कम करने के लिए की जा रही कृत्रिम बारिश
आईआईटी कानपुर ने इससे पहले अप्रैल से जुलाई के बीच सूखा प्रभावित इलाकों में सात सफल क्लाउड सीडिंग ट्रायल किए थे, और अब पहली बार प्रदूषण को कम करने के लिए इस तकनीक का उपयोग दिल्ली जैसे शहर में किया जा रहा है.
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