New Delhi: दिल्ली सरकार ने आदेश दिया है कि G+5 मंजिल और उससे ज्यादा ऊंची सभी निजी और सरकारी इमारतों में 29 नवंबर तक एंटी-स्मॉग गन लगानी होंगी. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने पीटीआई से बात करते हुए कहा, “इस निर्देश का मकसद दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटना है, खासकर सर्दियों के महीनों में जब पीएम10 और पीएम 2.5 जैसे हानिकारक कण काफी बढ़ जाते हैं.
नोटिस में बताई गईं जरूरी शर्तें
10 हजार वर्ग मीटर से कम निर्मित क्षेत्रफल वाली संपत्तियों के लिए करीब तीन एंटी-स्मॉग गन लगाना जरूरी है. नोटिस में कहा गया है कि 10,001 से 15,000 वर्ग मीटर के बीच निर्मित क्षेत्रफल वाली इमारतों में कम से कम चार एंटी-स्मॉग गन लगानी होंगी, जबकि 15,001 से 20,000 वर्ग मीटर के बीच के क्षेत्रफल वाली इमारतों में कम से कम पांच एंटी-स्मॉग गन लगानी होंगी. 20,001 से 25,000 वर्ग मीटर तक की संपत्तियों में कम से कम छह एंटी-स्मॉग गन लगाना जरूरी है. इसके इलाना हर 5,000 वर्ग मीटर के लिए एक अतिरिक्त एंटी-स्मॉग गन लगानी होगी.
एंटी-स्मॉग गन क्या है?
एक एंटी-स्मॉग गन एक उपकरण जो वायु प्रदूषण को कम करने के लिए वातावरण में पानी की बारीक बूंदें छिड़कता है यह धूल और कण पदार्थों, जैसे कि PM2.5 और PM10, के साथ जुड़कर काम करता है , जिससे वे ज़मीन पर गिरने लायक भारी हो जाते हैं. इन उपकरणों को स्मॉग कैनन या मिस्ट कैनन भी कहा जाता है, और इनका इस्तेमाल निर्माण स्थलों, औद्योगिक क्षेत्रों और सड़कों पर धूल को दबाने और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए किया जाता है.
ऐसी होनी चाहिए एंटी-स्मॉग गन
इसके नोजल से निकलने वाली पानी की बूंदें पाँच से 20 माइक्रोन की होनी चाहिए. इसकी क्षमता 75 से 100 मीटर तक पानी फेंकने की हों. इसे सुबह 6:30 से 9:30 बजे तक, शाम 5:30 से 8:30 बजे तक और दोपहर 1:30 से 4:30 बजे तक चलाना होगा. इन एंटी-स्मॉग गन में केवल शुद्ध पानी का ही इस्तेमाल किया जाएगा.
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