Padmashree Ashok Bhagat: इंद्रप्रस्थ कॉलेज फॉर वुमेन ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार की मेजबानी की, जिसका शीर्षक था “वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत की परिकल्पना: सीओपी 28 का पुनरीक्षण.” सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री अशोक भगत उपस्थित थे.
1983 से पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी श्री भगत ने पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए छोटे, समुदाय-संचालित मॉडल की शक्ति पर जोर देते हुए सतत विकास के लिए अपने दूरदर्शी दृष्टिकोण को साझा किया. उनकी अंतर्दृष्टि ने वैश्विक पर्यावरण नीतियों को आकार देने में भारत के नेतृत्व के महत्व को रेखांकित किया.
सेमिनार में प्रमुख पर्यावरणविदों का योगदान भी शामिल था, जिनमें पद्मश्री पुरस्कार विजेता चामी मुर्मू, प्रेम चंद शर्मा, बसंती देवी (चिपको आंदोलन के दिग्गज), लक्ष्मण सिंह और डॉ. नेत्रपाल यादव शामिल थे. उनकी अंतर्दृष्टि ने वैश्विक पर्यावरण आख्यान में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा को समृद्ध किया, खासकर जब देश सीओपी 28 के लिए तैयारी कर रहा है.
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