Politcs Updates: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में एनडीए सांसदों के साथ मुलाकात के दौरान विपक्ष के इंडिया नाम पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इन्हें इंडिया नहीं बल्कि ‘घमंडिया’ कहा जाना चाहिए। क्योंकि इनके अहंकार भरा है।
पीएम मोदी ने आगामी लोकसभा को लेकर बिहार के एनडीए सांसदों को विपक्षी पार्टियों निपटने के लिए कई सुझाव दिए। जिसमें नई रणनीति के तहत विपक्ष को जनता के बीच इंडिया नहीं ‘घमंडिया’ कह कर प्रचारित करने के सुझाव दिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘उन्होंने गरीबों के खिलाफ योजना बनाने की बात छिपाने के लिए अपना नाम यूपीए से बदलकर इंडिया कर लिया। इंडिया का नाम उनकी देशभक्ति दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि देश को लूटने के इरादे से है। पिछले महीने बेंगलुरु में एक बैठक में, 26 विपक्षी दलों ने अगले साल के राष्ट्रीय चुनाव में नए नाम इंडिया या इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस के तहत पीएम मोदी और भाजपा का मुकाबला करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि यह नाम ‘भारत के विचार’ के लिए उनकी लड़ाई का प्रतीक है, जिस पर हमला किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में नहीं थे नीतीश
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह स्थिर सरकार की खातिर भाजपा की उदारता का एक उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि ‘नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनने के लायक नहीं थे क्योंकि उनके पास कम सीटें थीं लेकिन फिर भी बीजेपी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया। यह एनडीए का त्याग भावना है। उन्होंने अकाली दल को उन सहयोगियों के उदाहरण के रूप में भी इस्तेमाल किया, जिन्होंने “अपने स्वार्थ के कारण छोड़ दिया”। प्रधानमंत्री ने सांसदों को सलाह दी कि वे सरकारी योजनाओं को ‘राजग सरकार की योजनाओं’ के रूप में वर्णित करें और इस बात पर प्रकाश डालें कि केवल एनडीए ही एक स्थिर सरकार प्रदान कर सकता है।
भाषण कला के लिए जानी जाती थीं सुषमा स्वराज
पीएम मोदी ने बिहार के एडीए सांसदों को अलग-अलग कार्यभार सौंपते हुए सुझाव दिया कि वे एनडीए के योगदान को बढ़ावा देने और उजागर करने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो साझा करें। अपनी सलाह साझा करते हुए पीएम ने बीजेपी के दो वरिष्ठ नेताओं- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज का जिक्र किया। सांसदों को बारी-बारी से बात करने से बचने की सलाह देते हुए प्रधानमंत्री ने सुषमा स्वराज का उदाहरण दिया, जो अपनी भाषण कला के लिए जानी जाती थीं, लेकिन केवल तभी बोलती थीं जब आवश्यक होता था।