SCO Meeting in india: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी 4 जुलाई को शंघाई सहयोग संगठन के वर्चुअल शिखर सम्मेलन के बैठक की मेजबानी कर रहे। इस दौरान एससीओं के इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ सहित अन्य सदस्य देशों के प्रतिनिधि भी शामिल रहें।
ईंधन मुहैया करना सभी देशो के लिए बड़ी चुनौती: पीएम मोदी
एससीओं के इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है। विवादों, तनावों और महामारी से घिरे विश्व में फर्टिलाइजर और ईंधन का मुहैया होना सभी देशों के लिए बड़ी चुनौती है। हमें यह फैसला करना होगा कि क्या हम अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं। क्या एससीओ ऐसा संगठन है जो आगे के बदलावों के हिसाब से बदल रहा है। एससीओ में भाषा संबंधी परेशानियों को हटाने के लिए हम अपने प्लेटफॉर्म को सबके साथ साझा करने में रुचि रखते हैं। आगे के सुधारों को लागू करने में एससीओ बड़ा प्लेटफॉर्म बन सकता है।
सीमा पार आंतकवादियों को आश्रय देते है कुछ देश
इस कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि ईरान आज एससीओ की बैठक में शामिल है। इसके साथ ही हम बेलारूस को एससीओ में शामिल करने के लिए मेमोंरेंडम में हस्ताक्षर का स्वागत करते हैं। यह आवश्यक है कि एससीओ का फुल फोकस मध्य एशिया के देशों के हितों और आकांक्षाओं पर केंद्रित रहे। इसके अलावा उन्होंने आगे कहा कि “आतंकवाद क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए खतरा है। हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ना होगा। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के एक साधन के रूप में उपयोग करते हैं और आतंकवादियों को आश्रय देते हैं।” पीएम मोदी ने कहा कि एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। एससीओ देशों को इसकी निंदा करनी चाहिए। आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।
SCO में सहयोग के लिए भारत ने बनाए पांच नए स्तंभ
पीएम मोदी ने संबोधन में कहा कि भारत ने SCO में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं। ये पांच स्तंभ स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक औषधि, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत है। उन्होंने कहा कि SCO के अध्यक्ष के रूप में भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई ऊचाईयों तक ले जाने के लिए निरंतर प्रयास किए हैं। इन सभी प्रयासों को हमने दो सिद्धांतों पर आधारित किया है।
पहला- ‘वसुधैव कुटुंबकम’ यानी पूरा विश्व एक परिवार है। ये सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग रहा है और आधुनिक समय में ये हमारी प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। वहीं, दूसरा दूसरा- SECURE यानी सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं।