अगली सुनवाई तक महिला अधिकारियों को न किया जाए सेवामुक्त: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि भारतीय सेना की उन महिला अधिकारियों को सुनवाई की अगली तारीख तक रिलीज नहीं किया जाए जिन्होंने अदालत का रुख करते हुए यह दावा किया है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया गया है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र सरकार के उस आग्रह को स्वीकार कर लिया कि याचिकाकर्ता के स्थायी कमीशन को खारिज करने के आधार पर विचार करने के लिए थोड़ा समय दिया जाए। पीठ ने केंद्र को आठ अक्टूबर तक एक हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। मालूम हो कि मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल नीतिशा के मामले में कहा था कि 60 फीसदी कट-ऑफ को संतुष्ट करने वाली सभी महिला अधिकारी स्थायी कमीशन की हकदार हैं, बशर्ते वे चिकित्सा मानदंडों आदि को पूरा करती हों। याचिकाकर्ताओं की दलील दी गई कि दो दिन पहले घोषित परिणामों से यह पता चला है कि 60 फीसदी कट ऑफ को पूरा करने के बावजूद उन्हें स्थायी कमीशन से वंचित कर दिया गया है। कहा गया कि फैसले के बाद भी 72 याचिकाकर्ताओं को स्थायी कमीशन के लिए अयोग्य और अक्षम घोषित कर दिया गया है। जब जस्टिस चंद्रचूड़ ने एएसजी संजय जैन से पूछा कि यह क्या हो रहा है, उन्होंने जवाब दिया कि यदि 72 अधिकारी अनफिट पाए गए हैं तो 72 अलग-अलग कारण होंगे। सभी अस्वीकृतियों में एक सामान्य कारण नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि कृपया हमें कुछ समय दें ताकि हम 72 फाइलों की जांच कर सकें और तथ्यों और आंकड़ों को रख सकें। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को अगले हफ्ते के लिए टालते हुए कहा कि तब तक याचिकाकर्ताओं को नौकरी से रिलीज न किया जाए।

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