नई दिल्ली। कोरोना महामारी से बचाव के लिए लगाए जा रहे वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन की कीमत 600 रुपए से घटाकर 225 कर दिया गया है। यह खबर राहत भरी तो है लेकिन छोटे या अल्प आय वर्ग के लोगों के लिए थोड़ी सी दिक्कत पैदा करने वाली भी है। केंद्र सरकार के बूस्टर डोज के लिए जारी दिशा निर्देश में साफ कहा गया है कि निजी अस्पताल वैक्सीन के मूल्य के अलावा भी 150 रुपए सेवा शुल्क के रूप में वसूल सकते हैं।
इसका मतलब यह हुआ कि टीका लगवाने वाले व्यक्ति को अधिकतम 375 रुपए चुकाने होंगे। हालांकि टीके की घटी हुई कीमतें पूरे देश के निजी अस्पतालों के लिए है लेकिन इसका कितना पालन होगा यह बात आगे ही पता चल सकेगा। निजी टीका केंद्रों पर 10 अप्रैल से एक अभियान शुरू हुआ है। इसके तहत 18 साल से ऊपर के लोगों के लिए बूस्टर डोज लगाया जा रहा है। कोई भी वयस्क व्यक्ति यह खुराक पहले लिए गए टीके के 9 महीना पूरा होने के बाद खरीद कर लगवा सकता है और इसके लिए नए सिरे से पंजीकरण कराने की जरूरत नहीं है क्योंकि सभी लाभार्थी पहले से ही कोविन पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं।
कोरोना के नए वेरिएंट एक्सई का भारत में दस्तक हो चुका है और सतर्कता जरूरी है। इसको देखते हुए बूस्टर डोज का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है। सीनियर सिटीजन के लिए राहत की बात यह है कि यह बूस्टर डोज यानी एहतियाती खुराक सरकारी केंद्रों पर मुफ्त मिलेगी। इसकी कीमत समाज के सभी वर्ग के लोगों पर लागू होना तो सही है लेकिन जो लोग आर्थिक संकट में हैं उन पर यह अतिरिक्त भार ही है।
बूस्टर डोज की कीमत संपन्न लोगों के लिए तो ठीक है लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए भी कुछ न कुछ व्यवस्था होनी चाहिए उनको भारी कीमत पर खुराक लगवा पाना इतना आसान नहीं होगा। अगर घर में कई सदस्य है तो इस खुराक को लगवाने में अच्छा खासा खर्च हो जाएगा। अब तक सरकार ने पूरे देश के लोगों को मुफ्त में टीके लगवा कर खूब वाहवाही बटोरी और अब इनका मूल्य निर्धारित कर देना और वरिष्ठ नागरिकों तथा आम नागरिकों के लिए अलग-अलग व्यवस्था करना अच्छा नहीं माना जा रहा है।