नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने अब कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के सालाना बीस लाख मीट्रिक टन आयात पर सीमा शुल्क और कृषि अवसंरचना विकास उपकर में छूट देकर बड़ा कदम उठाया है। इससे घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के दामों में कमी आने की सम्भावना है, लेकिन केन्द्र सरकार को सरसों तेल की कीमतों में भी कमी लाने के लिए बड़ा कदम उठाने की जरूरत है। सरसों तेल की कीमतें आसमान पर है जिससे आम जनता पर भारी आर्थिक बोझ बढ़ा है। कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल पर आयात शुल्क में छूट दो वर्षों तक मिलेगी। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने चीनी के निर्यात पर भी अंकुश लगाने का निर्णय किया है।
सरकार ने चीनी के निर्यात को सीमित करने की घोषणा की है। महंगाई की मौजूदा स्थिति जनता और सरकार दोनों के लिए गम्भीर चिन्ता और चुनौती का विषय है। इस पर अंकुश लगाने की दिशा में केन्द्र और राज्य सरकारें दोनों ही सक्रिय हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी लाने से पहले केन्द्र सरकार ने गेहूं और आटे की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाया था, जिससे इनके बढ़ते मूल्य में कमी आयी है। पेट्रोल- डीजल सस्ता होने से जनता को भी राहत मिली है और इसका आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर भी प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।
सरकार को अभी और ऐसे कदम उठाने होंगे जिससे दाल सहित अन्य आवश्यक वस्तुओं के मूल्य कम हो सकें। अभी महंगाई में और इजाफा हो सकता है क्योंकि भारत रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत किया है कि जून के प्रथम सप्ताह में ब्याज दरें बढ़ायी जा सकती हैं। इससे मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसलिए महंगाई के विरुद्ध जंग में और ठोस कदम उठाना आवश्यक है जिससे जनता को राहत मिल सके।