पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्री ठाकुर जी का विग्रह घर में अवश्य होना चाहिए, नहीं है तो ले आओ।भगवान् की खूब पूजा किया करो, प्रकाश करो, कथा सुनो, भगवान् का कीर्तन भी करो। भगवान का ध्यान भी करते रहो, आपके पास जो भी है सब ईश्वर का है, गुरु का है, संतों का है, समाज का है, गौमाता का है, जिन्हें मदद की आवश्यकता है उनका है, हमारा कुछ भी नहीं है। यत् परस्परो निवेदनम् , फिर भगवान की पूजा करो, बढ़िया तुलसी पत्र, पुष्प और फल लाकर चढाया करो। जो बढ़िया से बढ़िया बस्तु मिले, वह भगवान् को अर्पण करो। इन नियमों का जब आप पालन करने लगो, इसका नाम है साधन भक्ति, और साधन भक्ति के बाद प्रेमा भक्ति जागृत होगी। प्रेमा भक्ति के लक्षण क्या है? बस हृदय इतना कोमल हो जाये कि कथा सुनते ही रोना आ जाये। कभी रोने लगो, कभी नाचने लगो, कभी गाने लगो, सभी चेष्ठायें उसी के लिए हो जायें, कथा सुनकर आनंद का अनुभव हो। नृत्यन्ति गायन्ति अनुशीले, कथा सुनकर रोम-रोम उसका प्रसन्न हो। जब ऐसी स्थिति आ जाये,तब समझ लेना कि ठाकुर की कृपा हम पर हो गई है। जहां प्रेम होता है, वहां हृदय बिल्कुल मक्खन हो जाता है। जैसे दूध का भरा हुआ प्याला जरा सी ठोकर से छलक पड़ता है, इसी तरह प्रेम से भरा हुआ है हृदय जरा सी भगवत चर्चा में छलक पड़ता है। तब समझ लेना कि हमें ईश्वर का प्रेम प्राप्त हो गया, सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश) श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)