शहडोल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मंगलवार और बुधवार को मध्यप्रदेश के दौरे पर हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के दो दिवसीय मप्र प्रवास के लिए जबलपुर पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी मध्यप्रदेश की यह पहली आधिकारिक यात्रा है। राष्ट्रपति लालपुर, शहडोल में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित जनजातीय सम्मेलन में शामिल होने आई हैं। राष्ट्रपति डेढ़ बजे शहडोल पहुंचीं। वहां उन्होंने एक जिला एक उत्पाद के तहत स्वसहायता समूहों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस दौरान स्वसहायता समूहों की सदस्यों ने उन्हें उनके जिले के उत्पादों की जानकारी दी। राष्ट्रपति ने बड़े ही गौर से इन उत्पादों की जानकारी ली। साथ ही कुछ समूहों के उत्पाद भी उन्हें पुरस्कार स्वरूप दिए गए।
मंगलवार को शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भाग लिया। शहडोल में राष्ट्रगान के साथ जनजातीय गौरव दिवस समारोह शुरू हुआ। मध्यप्रदेश की मंत्री मीना सिंह ने स्वागत भाषण से शुरुआत की। इसके बाद सहरिया जनजाति का नृत्य प्रस्तुत किया गया। इसके बाद पेसा कानून की नियमावली को सार्वजनिक कर राष्ट्रपति ने उसके मध्यप्रदेश में लागू होने की घोषणा की। नियमावली को जनजातीय समुदाय को समर्पित किया गया। कार्यक्रम को केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते और अर्जुन मुंडा ने भी संबोधित किया।
मध्यप्रदेश देश का सातवां राज्य है, जहां पेसा अधिनियम लागू किया गया है। इससे पहले छह राज्यों (हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र) ने पेसा कानून लागू किए हैं। पेसा एक्ट का संबंध मध्यप्रदेश से ही ज्यादा रहा है। मध्यप्रदेश के झाबुआ से सांसद रहे दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में बना गई समिति की अनुशंसा पर यह कानून बनाया गया था। 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था। इस कानून के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकारों की ओर से नियम बनाए जाने लगे थे।