जम्मू कश्मीर। युवाओं को कट्टरपंथ से बचाने में धर्म गुरुओं की भूमिका अहम है। कश्मीरियत की भावना कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिए सबसे प्रभावी उपकरण है। यह बात बुधवार को श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में एक दिवसीय कट्टरपंथ विरोधी सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कही।
जम्मू-कश्मीर नेशनलिस्ट पीपुल्स फ्रंट (जेकेएनपीएफ) की ओर से आयोजित सम्मेलन में बड़ी संख्या में कश्मीर के धर्म गुरुओं, समाजसेवियों, छात्रों सहित अन्य लोगों ने भाग लिया। सम्मेलन में सभी वक्ताओं ने इस्लाम धर्म के असल मकसद, शांति व भाईचारे पर जोर दिया और स्पष्ट किया कि इस्लाम धर्म के नाम पर किसी प्रकार के कट्टरपंथ को इस्लाम में मान्यता नहीं है।
एलजी मनोज सिन्हा ने सम्मेलन में कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार युवाओं को शिक्षित करने में सक्षम है, लेकिन कट्टरपंथी विचारधारा से उन्हें दूर रखने में धर्म गुरुओं की बहुत बड़ी भूमिका है। कट्टरपंथ और नशे से कश्मीर की युवा पीढ़ी को बर्बाद करने के मंसूबे बनाए जा रहे हैं, जिन पर हर नागरिक को मंथन करने की जरूरत है।
एलजी मनोज सिन्हा ने एक ट्वीट में लिखा कि जम्मू-कश्मीर हमेशा से समन्वित संस्कृति, सभी धर्मों और समावेशी समाज की भूमि रही है। कश्मीरियत की भावना कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिए सबसे प्रभावी उपकरण है। इस्लामी विद्वान इस विचारधारा को चुनौती देने, आतंकवाद को वैध बनाने, उसका समर्थन करने वालों का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महिलाओं, युवाओं और इस्लामी विद्वानों की एक मजबूत ताकत निश्चित रूप से समुदायों को आतंकी विचारधारा और प्रचारकों के प्रति अधिक लचीला बनाएगी।