RTE Act: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों के लिए राइट टू चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE Act 2009) में बदलाव किए हैं, जिसके बाद अब स्कूल कक्षा 5वीं और 8वीं कक्षा में असफल हुए बच्चों को फेल कर सकते हैं. इस बदलाव को तहत राज्य अब एकेडमिक ईयर के अंत में कक्षा 5वीं और 8वीं में रेगुलर परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं.
हालांकि इन परिक्षाओं में कोई छात्र फेल होता है, तो उन्हें अतिरिक्त निर्देश दिया जाएगा और दो महीने बाद परीक्षा में फिर से बैठने का मौका दिया जाएगा. वहीं, अगर कोई इस परीक्षा में पदोन्नति की आवश्यकताओं को पूरा करने में भी फेल रहता है, तो उन्हें कक्षा 5वीं या कक्षा 8वीं में ही रोक दिया जाएगा.
पांच साल बाद किया गया बदलाव
बता दें कि नियमों में यह संसोधन बच्चों के लिए राइट टू चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE Act 2009) में 2019 में इस सुधार को शामिल करने के लिए संशोधन किए जाने के पाँच साल बाद किया गया है. हालांकि इससे पहले इस एक्ट में राज्यों को कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों के लिए “रेगुलर एग्जाम” आयोजित करने और फेल करने अनुमति नहीं दी थी.
स्कूल को दिए गए ये निर्देश
हालांकि, RTE Act इस बात पर जोर देता है कि कक्षा 8वीं पूरी करने तक “किसी भी बच्चे को किसी भी स्कूल से निकाला नहीं जाएगा”. वहीं, प्रधानाचार्यों को फेल बच्चों की लिस्ट बनाए रखने, “सीखने में अंतराल की पहचान करने” और इन कक्षाओं में पास बच्चों के लिए “विशेष इनपुट के प्रावधानों की व्यक्तिगत रूप से निगरानी करने” की जरूरत होती है.
इन राज्यों में पहले ही बदलाव
बता दें कि मध्य प्रदेश, गुजरात, झारखंड, ओडिशा, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों ने पहले ही कक्षा 5वीं या 8वीं में फेल होने वाले छात्रों को रोकने का फैसला किया है. जबकि कक्षा 5, 8, 9 और 11वीं के लिए रेगुलर एग्जाम– अनिवार्य रूप से, सार्वजनिक परीक्षा – आयोजित करने के कर्नाटक की कोशिश को मार्च 2024 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था. वहीं, केरल जैसे कुछ राज्य कक्षा 5 और 8 में परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ हैं.
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