दूसरी डोज के नौ महीने बाद ही बूस्टर डोज की पड़ेगी जरूरत: स्वास्थ्य मंत्रालय

नई दिल्ली। कोरोना के नए ओमिक्रोन वैरिएंट के सामने आने के बाद देश में वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत पर बहस तेज हो गई है। सरकार की तरफ से अभी पर कोई निर्णय नहीं किया गया है और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार कोरोना रोधी वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के नौ महीने बाद ही बूस्टर डोज लगाने की जरूरत पडे़गी। कोरोना संक्रमण को लेकर उपलब्ध वैज्ञानिक डाटा के आधार पर मंत्रालय ने संसदीय समिति के सामने यह बात कही है। समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य राम गोपाल यादव की अध्यक्षता में स्वास्थ्य से संबंधित संसद की स्थायी समिति की बैठक हुई। बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि बूस्टर डोज को लेकर एनटागी (नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप आन इम्युनाइजेशन) वैज्ञानिक आंकड़ों पर विचार कर रहा है और उसकी सिफारिश के बाद ही सरकार इस पर कोई निर्णय करेगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की ओर से मौजूद डा. बलराम भार्गव ने कहा कि यदि वैक्सीन की बूस्टर डोज देने पर निर्णय किया भी जाता है, तो यह दूसरी डोज लेने के नौ महीने बाद ही लगाई जा सकती है। शुक्रवार को इस संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने साफ किया कि संक्रमण या टीकाकरण के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खलाफ बनने वाली एंटीबाडी की मात्रा धीरे-धीरे कम होती है लेकिन इसकी मौजूदगी छह महीने से लेकर एक साल तक बनी रहती है। इसी के आधार पर दूसरी डोज के नौ महीने के बाद बूस्टर डोज की जरूरत बताई गई है।

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