नई दिल्ली। भारत ने दूसरे चरण की बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा इंटरसेप्टर AD-1 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। इसके बारे में रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी। मंत्रालय ने कहा कि AD-1 मिसाइल परीक्षण विभिन्न स्थानों पर स्थित सभी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा हथियार प्रणाली तत्वों की भागीदारी के साथ किया गया। बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) इंटरसेप्टर एडी-1 मिसाइल का परीक्षण एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया था।
परीक्षण के दौरान डेटा को कैप्चर करने के लिए लगाए गए रडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग स्टेशनों सहित कई रेंज सेंसर द्वारा कैप्चर किए गए डेटा में पाया गया है कि फ्लाइट टेस्ट के दौरान सभी सब-सिस्टमों ने अपेक्षा के अनुरूप काम किया है।
अब DRDO प्रमुख डॉ समीर कामत ने द्वितीय चरण बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस इंटरसेप्टर AD-1 मिसाइल के पहले उड़ान परीक्षण के बारे में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि हमने शुरुआत में 2000 किमी वर्ग की आने वाली मिसाइलों को नष्ट करने के लिए बीएमडी चरण 1 क्षमता विकसित की थी, लेकिन कल के परीक्षण के बाद अब हम 5000 किमी वर्ग क्षेत्र की किसी भी मिसाइल को नष्ट करने में सक्षम हो गए हैं।
बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ हमारी बड़ी छलांग- DRDO प्रमुख
DRDO प्रमुख ने आगे बताया कि अब अगर हमारे दुश्मन लंबी दूरी से निशाना साधते हैं, तो अब हमारे पास इंटरसेप्ट करने की क्षमता है। बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ हमारी क्षमता में यह एक महत्वपूर्ण छलांग है।
DRDO प्रमुख ने यह भी बताया कि एक बार जब हमारे रडार दुश्मन की मिसाइल को पकड़ लेंगे, तो यह इसे ट्रैक करने में सक्षम होगा। हमारी रक्षा प्रणाली को सक्रिय किया जा सकता है और मिसाइल को इंटरसेप्ट किया जा सकता है। यह मुख्य रूप से एंडो-एटमॉस्फेरिक है लेकिन यह कम एक्सो-वायुमंडलीय क्षेत्र में भी काम करता है। हम समानांतर रूप से उच्च एक्सो-वायुमंडलीय क्षेत्र के लिए विकास कर रहे हैं।
DRDO प्रमुख डॉ एस कामत से जब AD-1 मिसाइल के उड़ान परीक्षण के बाद पूरा सिस्टम डेवलप होने के बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि 2025 तक हम इस पूरे सिस्टम को पूरी तरह से विकसित कर लेंगे। हमें अपनी क्षमता साबित करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि इस सिस्टम में AD-1 मिसाइल के साथ-साथ उच्च एक्सो-वायुमंडलीय मिसाइल भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हमें 2025 तक इसे बनाने का पूरा भरोसा है।