जम्मू कश्मीर। कश्मीर घाटी मेें अब मंदिरों के साथ चर्चों में भी घंटियां बजने लगी हैं। श्रीनगर के 120 वर्ष पुराने सेंट ल्यूक चर्च में 30 साल बाद क्रिसमस से ठीक पहले बुधवार को सामूहिक प्रार्थना हुई। इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए। घाटी में आतंकवाद बढ़ने के बाद 1990 में इस चर्च को बंद कर दिया गया था। पिछले माह इसका पुनरुद्धार किया गया था। डलगेट इलाके में शंकराचार्य पहाड़ी की तलहटी में चेस्ट रोग अस्पताल के पास स्थित यह चर्च वीरवार को आधिकारिक तौर पर जनता के लिए खोल दिया जाएगा। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा इसका ई-उद्घाटन करेंगे। लगभग 125 साल पुराने चर्च का नवीनीकरण स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग द्वारा किया गया है। चर्च के एक अधिकारी डेविड राजन ने बताया कि जीर्णोद्धार और पुराने वैभव को बहाल करने के 30 वर्ष बाद इस चर्च के खुलने से ईसाई समुदाय में खुशी का माहौल है। यहां एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल ग्रेस पलजोर ने कहा कि समुदाय खुश है कि 125 साल पुराने चर्च को उसके पुराने स्वरूप और गौरव के साथ तैयार किया गया है। तीन दशक के बाद चर्च में प्रार्थना की गई। घाटी में ईसाई आबादी आमतौर पर होली फैमिली कैथोलिक चर्च, रोमन कैथोलिक चर्च, एमए रोड पर और चर्च लेन में रविवार के सामूहिक प्रार्थना के लिए एकत्र होती है। डॉ. अर्नेस्ट और डॉ. आर्थर नेवे द्वारा बनाई गई आधारशिला, टू द ग्लोरी ऑफ गॉड और एज ए विटनेस टू कश्मीर को 12 सितंबर 1896 को द बिशप ऑफ लाहौर द्वारा समर्पित किया गया था। 1990 से पहले यहां नियमित प्रार्थना और क्रिसमस पर सामूहिक विशाल सभा का भी आयोजन होता था। चर्च की छत को प्रसिद्ध कश्मीरी खतमबंद (लकड़ी पर नक्काशी किये गए टुकड़े) टुकड़ों के साथ फिर से डिजाइन किया गया है। राजमिस्त्री, बढ़ई, कारीगर और मजदूरों ने दशकों से खस्ताहाल पत्थर और ईंट की चिनाई वाली संरचना को बहाल किया है।