रिलेशनशिप। हर अभिभावक की प्राथमिकता बच्चों का सही पालन पोषण करना होती है। बच्चों के लिए उनके अभिभावक हर चीज अच्छी ही चाहते हैं। बच्चे की ख्वाहिश पूरी करना, उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए अभिभावक बहुत कुछ करते हैं। लेकिन इन सब के बावजूद कई बार कुछ बच्चे अपनी नाराजगी गुस्से के रूप में दिखाते हैं। बच्चे की जरूरतों के बारे में अभिभावक को पता होता है लेकिन बच्चे के व्यवहार के बारे में भी आपको सचेत रहना चाहिए।
अगर आपका बच्चा अधिक गुस्सा करता है तो उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। जिस बच्चों की नाक पर गुस्सा रहता है वह अकसर अपनी मन की उदासी बताने में असक्षम हो सकते हैं। ऐसे में गुस्सा करके वह किसी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। लेकिन हर वक्त गुस्सा करना न तो उनकी सेहत के लिए अच्छा है और न ही भविष्य के लिए। अगर आपके बच्चे की नाक पर गुस्सा रहता है, तो इन तरीकों से उसके व्यवहार में सुधार लाएं।
गुस्से के स्तर को समझें:-
सबसे जरूरी है कि बच्चे के गुस्से का स्तर आपको पता होना चाहिए। इसके लिए बच्चे से पूछें कि उसे कितना गुस्सा आ रहा। आप बच्चे को सिखा सकते हैं कि 0 से 10 के बीच अपने गुस्सा का पैरामीटर तय कर लें। ऐसे में जब आपका बच्चा आपको अपने गुस्से का स्तर बताएगा तो आप उस हिसाब से उससे डील करेंगे। बच्चा भी इस पैरामीटर के जरिए अपनी भावनाएं कंट्रोल करना सीख जाएगा।
भावनाओं का अहसास कराएं:-
बच्चों को यह बताएं कि भावनाएं क्या होती हैं। हो सकता है कि आपका बच्चा अपनी भावनाएं व्यक्त न कर पाता हो, इस कारण जल्दी गुस्सा हो जाता हो। ऐसे में अगर उसे मन के मुताबिक सही भावना का पता होगा तो वह गुस्सा करने के बजाए अपने इमोशन आपके सामने व्यक्त करेगा।
बच्चे पर गुस्सा न करें:-
बच्चे के गुस्से का जवाब गुस्से से न दें। इससे दोनों तरफ मात्र गुस्सा हावी होगा और वह अपने दिल की बात आपको नहीं बताएंगे। अगर आपका बच्चा किसी बात पर गुस्सा है तो उससे परेशानी पूछें। प्यार से समझाएं, ताकि उसका गुस्सा कम हो सके।
नखरे न करने दें:-
कई बच्चे काफी जिद्दी या नखरे करने वाले होते हैं। उनकी हर मांग पूरी होने के कारण उनका स्वभाव ऐसा हो जाता है कि अगर उनकी किसी बात को नहीं माना जाता तो वह नाराज होकर चिल्लाने लगते हैं। उनको गुस्सा आने लगता है। ऐसे में उनके मन की हर बात न मानें बल्कि उनके जिद की वजह पूछें। वहीं अगर वह गुस्से में आपसे कुछ मांगे तो उनकी बात कभी न माने। ताकि बच्चे के दिमाग में रहे कि गुस्सा करने से उनकी कोई मांग पूरी नहीं होगी।