पुष्कर/राजस्थान। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, आदि-अंत वाला यह संसार जिनके द्वारा उत्पन्न हुआ, जो स्वयं अनादि और अनंत है, वह पंचानन है। भगवान शंकर के पांच मुख हैं। जगत का बढ़ाना, चलाना और मिटाना उनका स्वभाव है, यह उनका खेल है। बच्चे घरौंदे बनाते हैं, खेलते हैं और मिटा देते हैं। वह भोलेनाथ, विश्वनाथ, जगन्नाथ प्रभु अजर अमर है, वह सबकी आत्मा है। ऐसे भगवान् शंकर जो पार्वती के ईश हैं, हम मन में उनका ध्यान करते हैं, उनको प्रणाम करते हैं। व्यास जी कहते हैं, गंगा, यमुना और सरस्वती का क्षेत्र परम पुण्य और पवित्र माना गया है। दूसरे तीर्थ, तीर्थ हैं लेकिन प्रयाग तीर्थराज हैं। जैसे देवताओं का राजा देवराज वैसे ही तीर्थों का राजा तीर्थराज प्रयाग का विशेषण है। सारे ब्रह्मांड में तीन करोड़ दस हजार तीर्थ हैं, उन सबके राजा तीर्थराज प्रयाग हैं। वहां नित्य आग जलती है, आग मायने यज्ञ। जहां सदैव यज्ञ आदि होते रहते हैं, इसीलिए नाम प्रयाग पड़ा, संस्कृत में याग का अर्थ यज्ञ होता है। जहां निरंतर यज्ञ होते रहते हैं, उसे प्रयाग कहते हैं। इतना यज्ञ दूसरी किसी धरती पर नहीं हुआ, जितना यज्ञ प्रयागराज में हुआ। परमात्मा शक्ति दें, व्यवस्था हो सके तो प्रयाग में यज्ञ करो। कथा का आयोजन करो क्योंकि यहां समस्त तीर्थों से श्रेष्ठ फल है। यहां बहुत आनंद है।(चार मास यहां श्री गंगा जी का जल बहता रहता है बाद में यहां टापू निकलता है) गंगा, यमुना और सरस्वती का पावन संगम है। व्यक्ति के जीवन में भी गंगा, यमुना और सरस्वती हैं। यह जो भृकुटी मध्य है, इसे भी प्रयागराज तीर्थ ही माना गया है। इडा, पिंगला और सुषुम्ना तीन नाड़ियों का जहां संगम होता है, उसे आज्ञा चक्र कहते हैं और यह प्रयागराज है। इड़ा, पिंगला दिखाई देती रहती है, तीसरी सुषुम्ना दिखाई नहीं देती। इसी प्रकार दो ही नदियां स्पष्ट दिखाई देती हैं- गंगा और यमुना तीसरी नदी सरस्वती वहां लुप्त हैं, गुप्त रूप से वहां निवास करती है। वहां त्रिवेणी है। कहा जाता है कि वह ब्रह्मलोक का सीधा मार्ग है। जैसे दूरदर्शन केंद्र से कोई चित्र दिखाया जाये या आकाशवाणी से कोई बात कही जाये वह सारी दुनियां में देखे या सुने जा सकते हैं। इसी प्रकार प्रयागराज ब्रह्म लोक का सीधा मार्ग है कहीं भी व्यक्ति का शरीर पूरा हो अधोगति हो सकती है, लेकिन प्रयाग में अगर शरीर पूरा हो तो अधोगति की कोई संभावना नहीं है। सभी हरि भक्तों के लिए पुष्कर आश्रम एवं गोवर्धन धाम आश्रम से साधू संतों की शुभ मंगल कामना। श्री दिव्य घनश्याम धाम, श्री गोवर्धन धाम कालोनी, दानघाटी, बड़ी परिक्रमा मार्ग, गोवर्धन, जिला-मथुरा, (उत्तर-प्रदेश)श्री दिव्य मोरारी बापू धाम सेवाट्रस्ट गनाहेड़ा पुष्कर जिला-अजमेर (राजस्थान)