नई दिल्ली। पिछले माह हुए सेना के हेलिकॉप्टर हादसे को लेकर वायुसेना ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में हादसे को लेकर कई महत्वपूर्ण तथ्य व सिफारिशें हैं। इसका विस्तृत प्रजेंटेशन भी रक्षा मंत्री को दिया गया। इसमें हादसे के कारणों पर भी विस्तार से जानकारी दी गई। आठ दिसंबर को हुए हादसे में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत समेत 13 सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी। तमिलनाडु के कुन्नूर के समीप हुए इस हादसे की जांच तीनों सेना की संयुक्त समिति ने की थी। जांच रिपोर्ट में दुर्घटना के कारणों को लेकर समिति ने अपने नतीजों से राजनाथ सिंह को अवगत कराया है। इसमें वीआईपी उड़ान के लिए भविष्य के हेलिकॉप्टर संचालन के लिए सिफारिशें भी की हैं। इस दौरान जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जांच समिति ने रूस में निर्मित Mi-17V5 helicopter हेलिकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने की जांच पहले ही पूरी कर ली थी। पहले सूत्रों ने कहा था कि भारतीय वायु सेना का उक्त हेलिकॉप्टर किसी तकनीकी त्रुटि के कारण हादसे का शिकार नहीं हुआ। हालांकि इस दावे की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की अध्यक्षता एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह ने की। भारतीय वायु सेना के अधिकारी एयर मार्शल मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली ट्राई-सर्विस जांच समिति ने हादसे की जांच की। भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ हेलिकॉप्टर पायलट दुर्घटना की जांच का हिस्सा थे और उन्होंने जांच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जांच समिति ने रक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारियों को ले जाने वाले हेलिकॉप्टरों के संचालन के दौरान मानक संचालन प्रक्रियाओं को संशोधित करने के लिए कुछ सिफारिशें भी की हैं। वहीं दुर्घटना के विवरण को लेकर सूत्रों ने कहा कि Mi-17V5 पहाड़ियों में एक रेलवे लाइन के पास उड़ रहा था, तभी वे अचानक उभरे घने बादल में घुस गए। इस दौरान सूत्रों ने कहा कि हेलिकॉप्टर कम ऊंचाई पर उड़ रहा था और इलाके को जानने के बाद यह जानकारी सामने आ रही है कि बावजूद इसके चालक दल ने विमान उतारने का फैसला नहीं किया। ऐसे में विमान एक चट्टान से टकरा गया।