समस्याओं से समाधान की यात्रा ही बुद्ध की यात्रा: पीएम मोदी

नई दिल्ली।  पीएम नरेंद्र मोदी ने आज वैश्विक बौद्ध समिट के उद्घाटन सत्र का उद्घाटन किया। दो दिवसीय शिखर सम्मेलन का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के सहयोग से 20-21 अप्रैल को राजधानी के अशोक होटल में किया जा रहा है। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि ‘बुद्ध व्यक्ति से आगे बढ़कर एक बोध हैं। बुद्ध स्वरूप से आगे बढ़कर एक सोच हैं। बुद्ध चित्रण से आगे बढ़कर एक चेतना हैं।’ तथा उन्‍होने यह भी कहा कि ‘अमृतकाल में भारत के पास अपने भविष्य के लिए विशाल लक्ष्य भी हैं और वैश्विक कल्याण के नए संकल्प भी हैं। भारत ने आज अनेक विषयों पर विश्व में नई पहल की हैं और इसमें हमारी बहुत बड़ी प्रेरणा भगवान बुद्ध हैं।’

इसके साथ ही साथ यह भी कहा कि ‘हमने भगवान बुद्ध के मूल्यों का निरंतर प्रसार किया है। बुद्ध का मार्ग है- परियक्ति, परिपत्ति और परिवेध… बीते 9 वर्षों में भारत इन तीनों ही बिंदुओं पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।’

हर इंसान के दुख को अपना समझता है भारत
पीएम मोदी ने बौद्ध सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ‘भारत विश्व के हर मानव के दुःख को अपना दुःख समझता है। दुनिया के अलग-अलग देशों में पीस मिशन हों, या तुर्किए के भूकंप जैसी आपदा हो, भारत अपना पूरा सामर्थ्य लगाकर, हर संकट के समय मानवता के साथ खड़ा होता है, मम भाव से खड़ा होता है।’

इसके साथ ही उन्‍होने कहा कि समस्याओं से समाधान की यात्रा ही बुद्ध की यात्रा है। ‘हमें विश्व को सुखी बनाना है तो स्व से निकलकर संसार, संकुचित सोच को त्यागकर समग्रता का ये बुद्ध मंत्र ही एकमात्र रास्ता है। आज ये समय की मांग है कि हर व्यक्ति की, हर राष्ट्र की प्राथमिकता, अपने देश के हित के साथ ही विश्व का भी हित हो।’

बुद्ध के बताए रास्ते से युद्ध का समाधान
पीएम मोदी ने यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि बुद्ध के बताए रास्ते से ही इसका समाधान निकलेगा। तथा उन्‍होने यह भी कहा कि ‘आज दुनिया जिस युद्ध और अशांति से पीड़ित है, बुद्ध ने सदियों पहले इसका समाधान दिया था। आधुनिक विश्व की ऐसी कोई समस्या नहीं है, जिसका समाधान सैकड़ों वर्ष पहले बुद्ध के उपदेशों में न दिया गया हो।’

पीएम मोदी ने बताया कि ‘भारत ने दुनिया को युद्ध नहीं बुद्ध दिए हैं। जहां बुद्ध की करुणा हो, वहां संघर्ष नहीं समन्वय होता है, अशांति नहीं शांति होती है।’

बुद्ध की शिक्षा पर चलते तो नहीं आता क्लाइमेट चेंज जैसा संकट
पीएम ने इसके मौसम में आए बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘ यदि विश्व, बुद्ध की सीखों पर चला होता तो क्लाइमेट चेंज जैसा संकट भी हमारे सामने नहीं आता। ये संकट इसलिए आया क्योंकि पिछली शताब्दी में कुछ देशों ने दूसरों के बारे में, आने वाली पीढ़ियों के बारे में नहीं सोचा।’

30 देशों के 171 प्रतिनिधि होंगे शामिल
इस शिखर सम्मेलन में बौद्ध दर्शन और विचार की मदद से समकालीन चुनौतियों से निपटने के बारे में चर्चा होगी। यह वैश्विक शिखर सम्मेलन बौद्ध धर्म में भारत की प्रासंगिकता और उसके महत्व को रेखांकित करेगा, क्योंकि बौद्ध धर्म का जन्म भारत में ही हुआ था। इस दो-दिवसीय वैश्विक बौद्ध शिखर सम्मेलन का विषय “समकालीन चुनौतियों के प्रति प्रतिक्रिया : दर्शन से अभ्यास तक” है।इस शिखर सम्मेलन में लगभग 30 देशों के लगभग 171 प्रतिनिधि और भारतीय बौद्ध संगठनों के 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। दुनिया भर के प्रतिष्ठित विद्वान, संघ के नेता और धर्म के अनुयायी भी इसमें भाग लेंगे।

इस सम्मेलन में शामिल होने वाले प्रतिनिधि आज के प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे और सार्वभौमिक मूल्यों पर आधारित बुद्ध के धम्म में इसके समाधानों की खोज करेंगे।

सम्मेलन के दौरान बुद्ध धम्म और शांति, बुद्ध धम्म : पर्यावरणीय संकट, स्वास्थ्य और स्थिरता, नालंदा बौद्ध परंपरा का संरक्षण और बुद्ध धम्म तीर्थयात्रा, जीवंत विरासत और बुद्ध अवशेष, एवं दक्षिण, दक्षिण-पूर्व और पूर्वी एशिया के देशों के साथ भारत के सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंधों का एक सुदृढ़ आधार आदि विषयों पर चर्चा की जाएगी।

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