नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के विनिवेश की दिशा में अब तक हुई प्रगति की समीक्षा की। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि FM ने एलआईसी के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की। बैठक में निवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे और वित्त मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे। सरकार की इस वित्त वर्ष के अंत तक एलआईसी का आईपीओ लाने की योजना है जो देश का सबसे बड़ा आईपीओ साबित हो सकता है।
चालू वित्त वर्ष के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के तय विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने में एलआईसी का आईपीओ काफी अहम भूमिका निभा सकता है। सरकार कई सार्वजनिक उपक्रमों में हिस्सेदारी बिक्री से सिर्फ 9,330 करोड़ रुपये ही जुटा सकी है। एलआईसी के विनिवेश प्रबंधन के लिए सरकार ने सितंबर 2021 में दस मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति की थी जिनमें गोल्डमैन सैक्स, सिटीग्रुप और नोमुरा भी शामिल हैं जबकि सिरिल अमरचंद मंगलदास को आईपीओ के लिए विधि सलाहकार नियुक्त किया गया है। सरकार इस आईपीओ में बिक्री के लिए रखी जाने वाली हिस्सेदारी का अनुपात तय करने में लगी हुई है। इसके अलावा एलआईसी में विदेशी निवेशकों को हिस्सेदारी बढ़ाने की मंजूरी देने के बारे में भी गौर कर रही है।
सेबी के नियमों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक किसी आईपीओ में शेयर खरीद सकते हैं लेकिन एलआईसी अधिनियम में विदेशी निवेश का कोई प्रावधान न होने से इसके लिए जरूरी संशोधन करने पड़ सकते हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने जुलाई में एलआईसी के विनिवेश प्रस्ताव को हरी झंडी दिखाई थी जिसे विनिवेश प्रक्रिया में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।