नई दिल्ली। अहिंसा यात्रा संपूर्णता समारोह कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत हजारों वर्षों से ऋषि, मुनी और आचार्यों की एक महान परंपरा की धरती रही है। काल के थपेड़ों ने कैसी भी मुसीबत पेश की हों, लेकिन यह परंपरा वैसी ही चलती रही है।
हमारे यहां आचार्य वही बना है, जिसने चरैवेति चरैवेति का मंत्र दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहिंसा यात्रा पूरी होने पर सभी योगी और आचार्यों को बधाई दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि आचार्य महाश्रमण जी ने सात वर्षों में 18,000 किमी. की पदयात्रा की है, जिसमें उन्होंने शांति का पाठ पढ़ाया है।
उन्होंने कहा कि आचार्य ने दुनिया के कई देशों में यात्रा कर अहिंसा की बात कही है। उन्होंने बताया है कि जहां अहिंसा वहीं एकता होती है और जहां एकता होती है वहीं श्रेष्ठता आती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “मेरा मानना है कि आचार्य ने देश के कोने-कोने में लोगों में नए भारत की इस नई यात्रा की ऊर्जा को महसूस किया होगा।
मैं उनसे आग्रह करता हूं कि भारत को बदलने के लिए इस अनुभव को नागरिकों के साथ जितना साझा करेंगे, यह उन्हें उतना ही प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि आचार्य जी ने अपनी पदयात्रा के दौरान सद्भावना, नैतिकता और पुनर्वास को एक संकल्प के रूप में समाज के सामने पेश किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे बताया गया है कि आचार्य की पदयात्रा के दौरान लाखों लोग पुनर्वास जैसे संकल्प में शामिल हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस पदयात्रा ने देश के 20 राज्यों को एक विचार, प्रेरणा से जोड़ा है। गौरतलब है कि आचार्य महाश्रमण ने अब तक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा से सवा सौ गुना ज्यादा और पृथ्वी की परिधि से सवा गुना पैदल सफर तय किया है। इस यात्रा के दौरान उन्होंने लोगों को नैतिकता और नशा मुक्ति के बारे में बताया। अपनी इस पदयात्रा को उन्ंहोंने तीन देशों भूटान, नेपाल और भारत में पूरा किया है।