वाराणसी। बाबा की नगरी काशी में इस बार मंदिरों से निकलने वाले फूलों के रंग से होली मनाई जाएगी। इस रंग से स्किन पर बुरा असर नहीं होगा। ये रंग महिलाएं तैयार कर रही हैं, इससे उनकी कमाई भी हो रही है। साईं फाउंडेशन के विकास श्रीवास्तव ने बताया कि फूलों से बने रंग में कोई मिलावट नहीं होती है। इससे बने गुलाल की डिमांड जिले में ही नहीं बल्कि पूरे देश में है। ऑनलाइन माध्यम से गुलाल और रंगों की मांग पूरी की जा रही है।
साईं इंस्टीट्यूट में हुनर ए बनारस मंच और साईं फाउंडेशन में प्रशिक्षण लेने वाली महिलाएं फूलों से गुलाल तैयार कर रहीं है। काशी विश्वनाथ, संकट मोचन, दुर्गा मंदिर के साथ ही अन्य मंदिरों में चढ़ने फूलों को मंगवाया जाता है। गेंदे के फूल से पीला रंग तैयार किया जाता है और गुलाब के फूलों से गुलाबी रंग तैयार किया जा रहा है।
मुस्लिम महिलाएं भी कर रहीं सहयोग :-
रंगों की मांग इतनी ज्यादा है कि महिलाएं सुबह से रात तक इसे बनाने में जुटी हैं। रंगों के इस त्योहार में काशी के गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिल रही है। अब्बुल अंसारी और फातिमा भी रंग तैयार कर रही हैं।
बरेका में दिव्यांग बच्चों ने तैयार किया हर्बल रंग :-
चेतना विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के हाथ से बने रंग से अधिकारियों और कर्मचारियों की होली मनेगी। यहां दिव्यांग बच्चे फूलों से रंग तैयार करते हैं। जो बरेका में कार्य करने वाले कर्मचारी और अधिकारी खरीदते हैं।