जम्मू-कश्मीर। घाटी में आतंकवादियों द्वारा की जा रही टारगेट किलिंग के बीच वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने कहा है कि अब समय आ गया है कि कश्मीर के लोगों को अपनी भावनाओं पर काबू पाने के साथ इस तरह की घटनाओं की निंदा करनी चाहिए, ताकि न सिर्फ आने वाली पीढ़ियों को बचाया जा सके, बल्कि उनकी परेशानियों का भी अंत हो सके। रक्षा खुफिया एजेंसी के महानिदेशक और एकीकृत रक्षा स्टाफ के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने यहां बीबी कैंट में चल रही पांच दिवसीय सेमिनार में कहा कि निर्दोष नागरिकों पर इस तरह के हमलों में शामिल लोग समाज की जड़ों को निशाना बना रहे हैं और ऐसे लोग कभी भी कश्मीर के दोस्त नहीं हो सकते। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों के दौरान कश्मीरी समाज को नुकसान हुआ है और कश्मीर की जड़ों पर चोट पहुंचाई गई। आज कोई भी निर्दोषों की हत्या के खिलाफ नहीं बोल रहा है। यह कुछ ऐसा है कि लोगों ने हर चीज के बारे में बोलने का अधिकार खो दिया है। दुनिया बाद में पूछेगी कि जब आप निर्दोष हत्याओं पर चुप थे, तो अब आपको क्यों सुना जाना चाहिए। उन्होंने लोगों से चुनिंदा मामलों में ही प्रतिक्रिया व्यक्त करने के सिंड्रोम से उबरने का आग्रह किया। ले. जनरल ढिल्लों ने कहा कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कश्मीर की 62 प्रतिशत आबादी 32 वर्ष से कम आयु की है और आज यह लगभग 66 प्रतिशत हो गई होगी। इसका अर्थ है कि 66 प्रतिशत आबादी इन तीन दशकों (आतंकवाद) के दौरान पैदा हुई थी और इस प्रकार ये संघर्ष काल के बच्चे हैं। उन्होंने कहा कि वे बंदूक संस्कृति, हमलों, कर्फ्यू, हड़ताल और कार्रवाई के दौरान पैदा हुए और बड़े हुए। वे अपने मन-मस्तिष्क पर एक निशान के साथ बड़े हुए हैं।