हमें अपने कर्तव्य का करना चाहिये पालन: दिव्य मोरारी बापू
राजस्थान/पुष्कर। परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा कि द्वितीय सोपान- अयोध्याकाण्ड द्वितीय सोपान में मुख्य रूप से वनगमन, केवट प्रसंग और भरत चरित्र की कथा का गान किया गया है।वनगमन लीला- वनगमन लीला में श्री राम का रामत्व स्पष्ट दिखायी पड़ता है। भगवान श्री राम कहते है- सुनु जननी सोइ सुत बड़भागी। जो पितु मातु बचन अनुरागी। तनय मातु पितु तोष निहारा। दुर्लभ जननी सकल संसारा। मुनिगन मिलन विशेष वन, सवहिं भांति हित मोर। तेहि महं पितु आयसु बहुरि सम्मत जननी तोर। भगवान श्री राम के पावन चरित्र से हम आपको शिक्षा मिलती है कि- हमें अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिये। आज हम लोग दूसरों का ध्यान रखते हैं, दूसरे का हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, वो उस कर्तव्य का पालन कर रहा है कि नहीं। लेकिन धर्म शास्त्र कहते हैं हमें दूसरों का ध्यान नहीं करना है। हमें अपने कर्तव्य का ध्यान करना है। कि हमारा माता-पिता, भाई-बंधु, समाज और राष्ट्र के प्रति क्या कर्तव्य है। हमको उसका पालन करना चाहिए। महारानी कैकेई ने अधिकार की लड़ाई लड़ी, उन्हें क्या मिला? केवल कलंक मिला। आज भी कोई अपनी पुत्री का नाम कैकेई रखने को तैयार नहीं है, नाम ही कलंकित हो गया। भगवान श्रीराम ने अधिकार की लड़ाई नहीं लड़ी, केवल कर्तव्य पालन किया, तो भगवान श्री राम के पूरे धरती पर मंदिर हो वन गये। भगवान श्रीराम का अधिकार चौदह वर्ष बाद स्वतः मिल गया। जो कर्तव्य का पालन करते हैं उनका अधिकार कोई छीन नहीं सकता है। जब तक अयोध्या में सबकी परमार्थिक भावना थी, तब तक अयोध्या में सब तरह का सुख था। मानो देव लोक का सारा सुख अयोध्या में उतर आया हो। रिद्धि सिद्धि संपत्ति नदी सुहाई। उमगि अवध अंबुध कहूं आई। एहि विधि सब पुर लोग सुखारी रामचंद्र मुख चंद निहारी, लेकिन महारानी कैकई के अंदर जैसे स्वार्थ की भावना आयी, तैसे सारा सुख गायब हो गया। हमारे- आपके जीवन में भी अगर परमार्थ की भावना हो, त्याग हो तो हमारे जीवन, परिवार, समाज में आनंद ही आनंद रहेगा। लेकिन जैसे भावना में कोई खोट आया, तो दुःख आना बड़ा स्वाभाविक है। केवट प्रसंग में भगवान कोल-भील लोगों को अपने हृदय से लगाते हैं, यहीं प्रभु श्री राम ने रामराज्य की नींव रखा है। जहां किसी प्रकार का भेद नहीं है सब अपने हैं वही रामराज्य है। भरत चरित्र में बंधु प्रेम का बड़ा अद्भुत दर्शन कराया गया है। छोटीकाशी बूंदी की पावन भूमि, श्री सुदामा सेवा संस्थान वृद्धाश्रम का पावन स्थल, पूज्य महाराज श्री-श्री घनश्याम दास जी महाराज के पावन सानिध्य में- श्री दिव्य चातुर्मास-महामहोत्सव शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर श्रीराम कथा के सप्तम दिवस अयोध्याकांड की कथा का गान किया गया। कल की कथा में अरण्यकांड, किष्किंधा और सुंदरकांड की कथा का गान किया जायेगा।