नई दिल्ली। कोरोना महामारी की चुनौतियों के बावजूद भारत ने 2020 में बच्चों को डायरिया और निमोनिया के खिलाफ टीकाकरण में प्रगति हासिल की है। जॉन हॉपकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में अंतर्राष्ट्रीय टीका पहुंच केंद्र (आईवीएसी) की ओर से विश्व न्यूमोनिया दिवस के मौके पर शुक्रवार को जारी में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने न्यूमोनिया के खिलाफ लगाए जाने वाले न्यूमोकोकल वैक्सीन के टीकाकरण में छह फीसदी की बढ़त हासिल की है। यह 2019 में 15 फीसदी थी जो 2020 में बढ़कर 21 फीसदी हो गई। वहीं डायरिया के खिलाफ टीकाकरण में 29 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। अक्टूबर 2021 में, यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम के तहत न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन का देशभर में विस्तार शुरू किया गया था, जिससे यह पहली बार पूरे भारत में सार्वभौमिक उपयोग के लिए उपलब्ध हो गया। रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्तमान में निमोनिया और डायरिया से होने वाली मौतों का वैश्विक बोझ पांच साल से कम उम्र के बच्चों में सबसे ज्यादा है और इस तरह की सालाना अनुमानित 2,33,240 मौतें होती हैं, जो प्रति दिन 640 बच्चों के बराबर है। दुनियाभर में बच्चों को जानलेवा डायरिया से सुरक्षा प्रदान करने वाला रोटा वायरस वैक्सीन का भारत में विस्तार हुआ है। 2019 में रोटा वायरस वैक्सीन का टीकाकरण 53 फीसदी था, जो कि साल 2020 में बढ़कर 82 फीसदी पर पहुंच गया। रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित 15 देशों में बच्चों को लगने वाले डीटीपी (डिप्थेरिया, टिटनस, पर्ट्युसिस), खसरा और इंफ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन के टीके में औसतन दो फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वैश्विक टीकाकरण अनुमान के मुताबिक वर्ष 2020 में 2.3 करोड़ बच्चे नियमित स्वास्थ्य सेवाओं के तहत टीका नहीं ले पाए।