नई दिल्ली। चीन देश का एक काला सच है जिसे जानने के बाद आपको हैरानी हो सकती है। दरसल 25 फरवरी 2021 को चीन देश के नागरिक मामलों के मंत्रालय और सामाजिक सहयोग इंस्टीच्यूट ने गुमशुदा लोगों पर एक श्वेत पत्र जारी किया जिसके अनुसार 2020 में औसतन रोजाना 2739 लोग गायब हुए और पूरे वर्ष में 10 लाख लोग गायब हुए।
खास बात है कि इनमें महिलाओं और शादीशुदा योग्य लड़कियों की संख्या सबसे अधिक थी। इसी प्रकार वहां के आंकड़ों की मानें तो 2016 में 39.40 लाख लोग और 2017 में 26 लाख लोग गायब हुए। दुनिया भर में जितने भी सर्विलांस कैमरे लगे हैं उनमें सबसे अधिक चीन में है। वहां राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पुलिस, खुफिया तंत्र, सामाजिक खुफिया तंत्र सहित जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरे और सभी कैमरों की तीन शिफ्टों में निगरानी भी की जाती है।
यह सब इस बात को बताने के लिए काफी है कि चीन की अंदरूनी सुरक्षा तंत्र कितना मजबूत है। इसके बावजूद उसका यह जो सच सामने आया है उसको जानकर उसकी असलियत सामने आ गई है। खास बात यह है कि अपहरण किए जाने वाले लोगों में महिलाओं और शादीशुदा योग्य लड़कियों की संख्या सबसे अधिक होती है। अगवा की गई इन लड़कियों को शहरोंसे उठाकर दूरदराज के गांवों और छोटे शहरों में बेच दिया जाता है जिससे इनका पता लगाना काफी मुश्किल हो जाता है।
यदि कोई अपहृत महिला जो बेची गई पुरुषों के पास से भागने की कोशिश करती है तो उसे बुरी तरह से यातनाएं दी जाती है। हालांकि यदि पुलिस चाहे तो अपने खुफिया तंत्र एवं जगह-जगह लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए अपराधियों को तुरंत पकड़ सकती है लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है। मानव तस्करी में चीन का रिकॉर्ड बहुत खराब है। चीन की तरह ही ईरान, उत्तर कोरिया, रूस, सीरिया, वेनेज़ुएला आदि भी मानव तस्करी के मामले में चीन की तरह ही खराब रिकार्ड वाले देश है।
फरवरी 2022 में जंजीरों में जकड़ी एक आठ बच्चों की मां एक चीनी महिला का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसने चीन के अलग-अलग सामाजिक हलकों में दहशत फैला दी थी। बाद में यह पता चला था कि उस महिला का अपहरण 12 वर्ष की उम्र में ही कर लिया गया था और उसका उपयोग सिर्फ बच्चें पैदा करने के लिए किया गया। लोक सुरक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक आंकड़े में बताया गया था कि 2014 में अगवा की गई 30 हजार महिलाओं को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से आजाद कराया गया था। इस खबर को चीन की सरकारी मीडिया ने खूब तारीफ में पुल बांधते हुए प्रकाशित किया था।
वहां के पुरुष प्रधान समाज में खेती और मजदूरी के लिए लोग पुरुष बच्चों को ही स्वीकार करते हैं। महिला भ्रूण का गर्भपात करा दिया जाता है। 2016 में एक बच्चें की नीति को बदल कर हर दंपति को दो बच्चें पैदा करने की छूट दे दी थी। चीन के आम लोग एक बच्चे के पालन पोषण और शिक्षा का खर्च ही बहुत मुश्किल से उठा पाते हैं और अधिकतर लोग दूसरा बच्चा नहीं चाहते। वहां बड़ी संख्या में ऐसे पुरुष हैं जिनको शादी के लिए लड़की नहीं मिल पाती।