Delhi: देश के कई हिस्सों में भारी बारिश हो रही है, तो कई जगहों पर तो बाढ़ की आशंका भी बनी हुई है. ऐसे में पानी भरने की वजह से मच्छरों का आतंक बढ़ने का खतरा रहता है और डेंगू, मलेरिया (Dengue Cases in India) व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी होने लगती है.
WHO के मुताबिक, 4 से 5 साल में डेंगू के मामले 50% तक बढ़ सकते हैं. अब भले ही ये मच्छर तैयारी कर रहे हों आप पर हमला करने की, लेकिन इनके मनसूबों को नाकाम करना है तो आपको भी चतुराई से काम लेना होगा. मच्छरों से बचने की तैयारी करनी होगी. क्योंकि समझ लीजिए ये जो बीमारी देते हैं वो भले ही ठीक हो जाए, लेकिन उसके साइड इफेक्ट्स महीनों तक परेशान करते हैं.
डेंगू के मुख्य लक्षण–
तेज बुखार
सिरदर्द
मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द
त्वचा पर रैशेज
उल्टी या मतली आना.
डेंगू से बचने के लिए क्या उपाय करने चाहिए :
1. घर के अंदर और आस पड़ोस में पानी इकठ्ठा न होने दें.
2. नीम की पत्तियों का धुँआ घर में फैलायें.
3. पानी के बर्तनों को खुला न रखें.
4. किचिन और वॉशरूम को सूखा रखें.
5. कूलर और गमले का पानी प्रतिदिन बदलते रहें.
6. खिड़कियों और दरवाज़ों पर जाली लगवायें.
7. शरीर पर मच्छर को दूर रखने वाली क्रीम लगायें.
8. पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनें.
9. सोते समय मच्छर दानी का प्रयोग करें.
10. घर के आसपास मच्छर मारने वाली दवा का छिड़काव करवायें.
चिकनगुनिया क्या है और इसके फैलने का क्या कारण है ?
चिकनगुनिया बुखार, वायरस से फैलता है. अल्फा? नाम का यह वायरस एडिस मच्छ र के काटने से फैलता है.यह एक वायरल बीमारी भी है क्यूोंकि जब चिकनगुनिया से ग्रसित किसी आदमी को कोई मच्छर काटता है और फिर वही मच्छर किसी और आदमी को काट लेता है यह अल्फा वायरस उस मच्छर द्वारा दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाता है और वह व्यक्ति भी चिकनगुनिया से पीड़ित हो जाता है.
चिकनगुनिया के लक्षण :-
1. तेज बुखार आना.
2. सिर में तेज दर्द.
3. मुंह में छाले और उल्टी आना.
4. भूख में कमी और स्वाद ना आना.
5. चक्कर आना और कमजोरी महसूस होना.
6. हाथ, पैर और पीठ में तेज दर्द.
7. रैशेज या चकत्ते पड़ जाना.
8. जोड़ों में सूजन और मांस पेशियों में दर्द.
चिकनगुनिया से बचने के उपाय :
1. मच्छरों के काटने से बचें.
2. घर में या आस-पास जल-जमाव ना होने दें.
3. मच्छरदानी का प्रयोग करें |
4. दिन में भी मच्छररोधी कॉयल जला कर रखें.
5. बाहर जाते समय मच्छररोधी क्रीम का प्रयोग करें.
6. पूरी आस्तीन वाले कपड़े पहनें.
7. पानी की टंकियों के ढ़क्कन बंद रखें
8. सप्ताह में एक दिन टंकी को खाली करें व सुखाने के बाद प्रयोग करें.
मलेरिया
मच्छरों द्वारा फैलाई जाने वाली सबसे आम बीमारियों में से एक मलेरिया है. यह प्लास्मोडियम नामक एककोशिकीय परजीवी के कारण होता है. मादा एनोफिलीज़ मच्छर संक्रमित लोगों के काटने पर उनसे परजीवी ग्रहण कर लेती है ताकि अपने अंडों के पोषण के लिए ज़रूरी मानव रक्त प्राप्त कर सके. मलेरिया परजीवी संक्रमित व्यक्ति के यकृत में और फिर लाल रक्त कोशिकाओं में तेज़ी से बढ़ते हैं. यदि इसका उपचार न किया जाए तो मलेरिया शीघ्र ही नियंत्रण से बाहर हो सकता है और अधिक गंभीर अवस्था में पहुंच सकता है, जिससे एनीमिया, अंग विफलता और यहां तक कि मस्तिष्क मलेरिया भी हो सकता है एक चिकित्सीय जटिलता जो घातक हो सकती है.
मलेरिया के लक्षणों में शामिल हैं:
बुखार और कंपकंपी/ठंड लगना
बिगड़ा चेतना
श्वसन संबंधी परेशानी और गहरी साँस लेना
एकाधिक आक्षेप
के संकेत रक्ताल्पता और असामान्य रक्तस्राव
महत्वपूर्ण अंगों की शिथिलता और नैदानिक प्रमाण पीलिया
उल्टी जैसे महसूस होना
रोकथाम:
मलेरिया जानलेवा है, इसलिए इसके हमले से पहले ही खुद को बचाना ज़रूरी है. ओडोमोस आपको मच्छरों से होने वाली जानलेवा बीमारियों से बचाता है और यह क्रीम, जेल, लोशन, रिस्ट बैंड और रोल-ऑन रूपों में उपलब्ध है.
इलाज:
आमतौर पर दवाओं का संयोजन ही कारगर होता है. क्लोरोक्वीन, एक एंटीपैरासिटिक दवा, अक्सर पहली पंक्ति का इलाज होती है. दवा के साथ-साथ, सहायक देखभाल भी ज़रूरी है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ, आराम, दर्द प्रबंधन और कड़ी निगरानी शामिल है.
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